उज्जैन। कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से अभद्रता करने के मामले को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। वहीं यह दूसरी बार है जब उन्होंने स्थानीय नेताओं को पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से अच्छा व्यवहार करने की नसीहत दी है।
इससे पहले भी अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों के साथ अभद्रता के मामले में सोनी की शिकायत हो चुकी है। तब उनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। परन्तु स्थानीय नेताओं ने मामले को सुलझाने का दावा करते हुए बचाव किया गया था। परन्तु इस बार कोरोना संकट में इस तरह का फिर से मामला आने के बाद पार्टी बैकफुट पर आ गई है। अब महेश सोनी को उनके कुछ समर्थक बचाने की कोशिश में लग गए हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि अब उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक माया राजेश त्रिवेदी की शिकायत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ तक पहुंच गई है। उन्होंने स्थानीय नेताओं से एक रिपोर्ट मांगी है। वहीं दूसरी रिपोर्ट संभागीय प्रभारियों से भी मांगी है। ताकि सच्चाई सामने आ सके। संभागीय प्रभारी ने भी स्थनीय नेताओं से शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेश सोनी के व्यवहार को लेकर फीड बैक लिया है।
ज्यादातर पदाधिकारियों ने बताया कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। अक्सर बहकी -बहकी बातें करने लगते हैं। चाहे किसी भी कार्यकर्ताओं को कुछ भी कह देते हैं। उनके पार्टी में योगदान को देखते हुए अधिकांश नेता और पदाधिकारी उनकी अभद्रता को नजर अंदाज कर देते हैं। अब नाराज लोगों की संख्या बढऩे से संगठन एक्शन के मूड में आ गया है।
रोचवानी ने शहर कांग्रेस के वाट्सएप ग्रुप पर जताई नाराजगी
बताया जाता है कि शहर कांग्रेस द्वारा लगातार सेवादल के पदाधिकारियों की उपेक्षा किए जाने से नाराज होकर सेवादल के अरूण रोचवानी ने शहर कांग्रेस के वाट्सएप ग्रुप पर अपनी बात की थी। कहा जा रहा है कि रोचवानी को लगातार बैठकों या अन्य नेताओं उज्जैन आने की जानकारी नहीं दी जाती है। केवल सेवादल को कुछ चुनींदा कार्यक्रम में ही बुलाया जाता है।
महिला कांग्रेस ने किया कमलनाथ को मेल
शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेश सोनी अधिकांश बैठकों की सूचना महिला कांग्रेस अध्यक्ष अंजू जाटवा को नहीं देते हैं। अधिकांश कार्यक्रम में उन्हें बुलाया भी नहीं जाता है। इससे नाराज जाटवा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को मेल भेजा है। उन्होंने इसमें जिक्र किया है कि उन्हें बैठक में नहीं बुलाए जाने का बहाना क्राइटेरिया में नहीं आना बताया जाता है। जबकि फ्रंट के नेताओं को अगर रणनीति बनाने के लिए शामिल नहीं किया जाता है तो फिर कौन शामिल होगा।