वेंटिलेटर पर गंभीर, दो दिन छोडक़र पानी देने का प्रपोजल तैयार

नगर निगम आयुक्त के अवकाश से लौटते ही लागू हो सकता है फैसला

उज्जैन, अग्निपथ। गंभीर बांध की हालत अब आईसीयू में वेंटिलेटर पर पड़े मरीज जैसी हो गई है। बुधवार शाम तक बांध में उपयोग लायक केवल 50 एमसीएफटी पानी ही शेष रह गया है। इतना पानी बमुश्किल 5 से 6 बार ही शहर में सप्लाय किया जा सकता है। हालात बदतर होते देख लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) ने शहर में एक दिन के बजाए दो दिन छोडक़र पानी देने का प्रपोजल तैयार किया है। 9 जुलाई को नगर निगम आयुक्त के छुट्टी से लौटते ही इस पर अमल हो सकता है।

1992 में शहर से 16 किलोमीटर दूर जब गंभीर बांध का निर्माण कर यहां शहर में पानी की आपूर्ति शुरू की गई थी। तब यह दावा किया जा रहा था कि पूर्ण क्षमता से भरने पर 2250 एमसीएफटी क्षमता वाला यह बांध तीन साल शहर में हर रोज जलापूर्ति करने के लायक है। अब हालात बदल गए हैं। तीन साल तक पूर्ति तो दूर गंभीर बांध महज 11 महीने में ही शहर को संकट के मुहाने पर ले आया है। पिछले साल 22 अगस्त को गंभीर बांध पूर्ण क्षमता से भरा था, इसके बाद केवल इसका लेवल मेंटेन किया गया।

पीएचई के एक वरिष्ठ अधिकारी की माने तो बांध में 150 एमसीएफटी पानी ही शेष बचा है। इसमें से केवल 50 एमसीएफटी पानी ही उपयोग के लायक है। 100 एमसीएफटी पानी कीचड़ और गाद युक्त होने के कारण उपयोग लायक नहीं है। शहर में हर सप्लाय में 6 से 7 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है। इस लिहाज से गंभीर बांध से 6 से 7 बार सप्लाय किए जाने लायक ही पानी लिया जा सकता है।
पीएचई अधिकारियों की कोशिश है कि गंभीर और शिप्रा का पानी मिलाकर किसी तरह शहर में एक महीने तक पानी सप्लाय हो सके।

यही वजह है कि पीएचई से शहर में एक दिन के बजाए दो दिन छोडक़र पानी सप्लाय करने का विधिवत प्रस्ताव नगर निगम आयुक्त कार्यालय में भेज दिया गया है। नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल फिलहाल अवकाश पर है, वे 9 जुलाई को दोबारा ज्वाइन करेंगे। आयुक्त के वापस लौटते ही पीएचई के प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाएगी, इस बात की पूरी संभावनाएं है।

जरूरी हो गया है सेवरखेड़ी डेम का निर्माण

गंभीर बांध अब शहर में पूरे साल जलापूर्ति करने लायक नहीं रहा है, नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना भी बहुत महंगा सौदा साबित हो चुकी है। ऐसे में शहर में जलापूर्ति के विकल्प पर तेजी से काम करना जरूरी हो गया है। पिछले कुछ महीनों में उज्जैन में नई इंडस्ट्रियां स्थापित करने का माहौल तैयार हुआ है। इंडस्ट्रियों की भी पहली जरूरत पानी होगा। इन हालातों में शिप्रा नदी पर सेवरखेड़ी डेम का निर्माण जरूरी हो गया है।

जल संसाधन विभाग ने कुछ सालों पहले जब इस डेम के लिए सर्वे किया था तो यहां सेवरखेड़ी, आलमपुर-उड़ाना, भंवरी, बोलासा, निकेवड़ी सहित 17 गांवों की 7 हजार हेक्टेयर जमीन डूब में जाने का अनुमान लगाया गया था। तब इस डेम की अनुमानित लागत 192 करोड़ रुपए आंकी गई थी। डेम के निर्माण पर ग्रामीणों का विरोध है इसलिए कमजोर राजनैतिक इच्छाशक्ति हर बार इस प्रस्ताव के आड़े आती रही है।

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