नामांतरण प्रकरण में हाटपिपलिया के किसान से मांगी थी रिश्वत
उज्जैन, अग्निपथ। रिश्वत खोरों को लोकायुक्त द्वारा पकड़ते देखना आम बात है, लेकिन गुरुवार को उज्जैन ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) ने पहली बार घूसखोरी मामले में कार्रवाई की है। टीम ने हाटपिपलिया तहसील कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर को किसान से 10 हजार रुपए लेते रंगेहाथ दबोचा है।
देवास के हाटपिपलिया स्थित ग्राम बिंगौद निवासी गणेश पिता गब्बूलाल जाट (32)ने एक बंटवारा व दो नामांतरण प्रकरण के लिए करीब पांच माह पहले तहसील कार्यालय में आवेदन दिया था। प्रकरण निराकरण के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर सचिन पिता महेश विश्वकर्मा (22) ने जाट से 10 हजार रुपए मांगे थे। नतीजतन जाट ने 6 जुलाई को उज्जैन ईओडब्ल्यू एसपी दिलीप सोनी से शिकायत कर दी। उनके आदेश पर डीएसपी अजय कैथवास ने तसदीक की और आरोप सही होने पर विश्वकर्मा को रंगेहाथ पकडऩा तय किया।
योजनानुसार गुरुवार सुबह 10.30 बजे जाट को कैमिकल लगे 10 हजार रुपए देकर भेजा। तहसील कार्यालय में जाट से नोट लेकर जेब में रखते ही बाहर छुपी टीम ने ऑफिस में घुसकर उसे दबोच लिया। मामले में उस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 क में केस दर्ज कर दिया।
ऑफिस में उतरवाई पेंट
रिकार्डनुसार विश्वकर्मा देवास के लिंबोदाग्राम स्थित सुतार मोहल्ले का निवासी है। 9 जुलाई 2019 को अस्थाई कप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी पर लगा था। जाट को चक्कर लगाने पर उसने बिना 10 हजार रुपए दिए काम नही होने का कहा था। इसलिए जाट द्वारा रुपए देते पेंट की जेब में रख लिए। यहीं वजह है ईओडब्ल्यू टीम ने हाथ रंगाते ही उसकी पेंट भी उतरवाई और कैमिकल का रंग आने पर जब्त कर ली। हालांकि साथी कर्मचारी ने दूसरी पेंट लाकर दी।
पकड़ाया तो दी सफाई
आरोपी सचिन विश्वकर्मा ने कहा मैं अस्थाई कर्मचारी हूं, मुझे न तारीख देने का अधिकार है न प्रोसेडिंग का। गणेश जाट से ऑफिस आने पर पहचान थी। सुबह रुपए लेकर आया तो मैंने उससे पूछा किस बात के रूपए है। लेकिन वह बिना कुछ बोले रुपए फेंक कर चला गया। यह मुझे फंसाने की साजिश है।
इनकी रही भूमिका
ईओडब्ल्यू द्वारा पहली बार की गई ट्रेप कार्रवाई में निरीक्षक अजय सनकट, पीके व्यास, एएसआई अशोक राव, प्रआ. मोहन पाल, विशाल बादल, फिरोज खान व भारत मंडलोई की भी सराहनीय भूमिका रही है।