देश में ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने मोदी सरकार के सामने पूरी तरह से घुटने टेक दिये हैं। कांग्रेस द्वारा पेट्रोल डीजल और रसोई गैस तथा अन्य खाद्य वस्तुओं की दामों की वृद्धि को लेकर दिल्ली से लेकर भोपाल तक कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया गया है। यही हालत स्थानीय स्तर पर भी है।
हालांकि युवक कांग्रेस समय समय पर मैदान में जरूर नजर आती है। इसकी तुलना में शहर और जिला कांगे्रस कभी भी मैदान में नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के अस्वस्थ होने के कारण शीर्ष से लेकर निचले पायदान तक कांग्रेस सुप्त अवस्था में चली गयी है।
इसके ठीक वितरीत पेट्रोल और डीजल के दामों में मामूली सी भी वृद्धि होती थी तो भारतीय जनता पार्टी दिल्ली से लेकर उज्जैन एक कर डालती थी। भारतीय जनता पार्टी का बड़े से बड़ा नेता सडक़ों पर नजर आने लगाता था। रसोई गैस, बैलगाड़ी पर प्रदर्शन होने लगते थे।
आम आदमी इस समय बेतहाशा मूल्य वृद्धि से परेशान है। हर आदमी का बजट गड़बड़ा गया है। कोरोना ने हर व्यक्ति की जेब पर असर डाला है। ऐसी स्थिति में पेट्रोल डीजल और रसोई गैस, खाद्य तेल, दालों के दामों पर वृद्धि और अधिक तकलीफ दे रही है। इन सब परिस्थितियों में आदमी उम्मीद करता है कि विपक्ष मजबूती से उनकी बात रखे। किन्तु ऐसा लग रहा है कि विपक्ष सडक़ पर उतरना ही नहीं चाहता है।