सेवानिवृत्त आईजी की शिकायत पर हुआ था मामले का खुलासा, तत्कालीन एसडीएम हुए थे निलंबित
उज्जैन। यूडीए ढाई करोड़ की जमीन को बचाने के लिए सामने नहीं आया। इंदौर हाईकोर्ट में अपना ही पक्ष नहीं रखने गया। इसके चलते लीलाबाई को स्टे मिल गया है। हाई प्रोफाइल मामले में स्टे मिलने से यूडीए में हडक़ंप मच गया है।
जानकारी के मुताबिक बसंत विहार में प्लाट का नामातंरण तत्कालीन एसडीएम ने कर दिया था। इसकी शिकायत संभाग आयुक्त से की गई थी, शिकायत में बताया गया था कि उन्होंने नामातंरण करते समय यूडीए को उसका पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। इस पर संभागायुक्त ने तत्कालीन एसडीएम को निलंबित कर दिया था। लीलाबाई मामले में हाईकोर्ट चली गई थी।
उन्होंने संभाग आयुक्त को मामले में पार्टी बनाते हुए नामांतरण को सही बताया था। साथ ही दावा किया था कि उक्त प्लाट लीलाबाई को उसके पिता से मिला हिस्सा है। मामले में हाईकोर्ट ने प्राधिकरण को नोटिस जारी करके उसका पक्ष रखने के आदेश दिए थे। परन्तु प्राधिकरण के अफसरों ने कोर्ट में पक्ष नहीं रखा। इस पर कोर्ट ने यथा स्थिति के आदेश दे दिए हैं। हालांकि अभी मामले की सुनवाई अगले सप्ताह भी होगी।
इस मामले का खुलासा सेवानिवृत आईजी रमण सिकरवार की शिकायत पर हुआ था। उक्त प्लाट का आवंटन सिकरवार समेत उनके छह रिश्तेदारों को हुआ था। जबकि एसडीएम पर दूसरे के प्लाट का नामांकरण करने का आरोप लगा था और उन्हें निलंबन भी झेलना पड़ा था।
हाईकोर्ट में नामांतरण को लेकर मामला गया है। इस केस में शासन ही पार्टी है इसलिए वह ही अपना पक्ष रखेगा। -रमण सिकरवार, सेवानिवृत आईजी
मुझे हाईकोर्ट का स्टे मिल गया है, वर्तमान हालात के विषय में कुछ नहीं कह सकती हूं,क्योंकि मामला कोर्ट में है। मामले से जुड़ा एक केस मेरी कोर्ट मेंं चल रहा है। -कल्याणी पांडे, एसडीएम उज्जैन
प्रकरण एसडीएम न्यायालय में चल रहा है, इसके खिलाफ विरोधी पक्ष हाईकोर्ट में गया था, जिसमें पहली पेशी पर ही उन्हें स्टे बिना यूडीए की जानकारी के मिल गया है। यूडीए स्टे को खारिज कराने के लिए कोर्ट में अपील करेगा। -सोजान सिंह रावत, सीईओ उज्जैन विकास प्राधिकरण