नगर निगम की 16 फाइलों ने उगला लाखों का घोटाल; स्वीकृत टेंडर से कई गुना ज्यादा बिल आया और भुगतान हुआ

नगर निगम

अपर आयुक्त वित्त को क्लीन चिट, दूसरे अफसर लपेटे में आ गए

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के अपर आयुक्त वित्त गणेश धाकड़ के खिलाफ बिल्डर एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा की गई शिकायत की जांच में नए तथ्य सामने आ गए है। ठेकेदारों की शिकायत में अपर आयुक्त धाकड़ को तो क्लीन चिट मिल गई लेकिन जांच अधिकारी ने 16 ऐसी फाइलें निकाल डाली, जिनमें नियमों का उल्लंघन कर टेंडर भी स्वीकृत किए और इनमें से अधिकांश का भुगतान भी हो गया। खुद जांच अधिकारी ने ही स्वीकार किया है कि इस तरह के कृत्य से नगर निगम को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है।

नगर निगम बिल्डर एसोसिएशन के 8 से 10 सदस्यों ने नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल को अपर आयुक्त वित्त गणेश धाकड़ के खिलाफ भुगतान संबंधी फाइलों को अकारण रोके जाने की शिकायत की थी। नगर निगम आयुक्त के निर्देश पर अपर आयुक्त आर.पी. मिश्रा ने जांच के दौरान शिकायत करने वाले ठेकेदारों के बयान दर्ज किए। ठेकेदारों ने जिन 5 पुरानी भुगतान फाइलों का जिक्र शिकायत में किया था, उनकी भी प्रतिलिपि जांच प्रतिवेदन में लगाई गई।

शुक्रवार को नगर निगम आयुक्त को मेला कार्यालय में अपर आयुक्त मिश्रा ने जांच प्रतिवेदन सौंपा। इस जांच प्रतिवेदन में सामने आए तथ्य चौंकाने वाले है। जांच में यह साफ हो गया है कि जिन ठेकेदारों ने अपर आयुक्त वित्त की शिकायत की थी, खुद उन्हीं के टेंडर और भुगतान की कई सारी फाइलें संदेह के दायरे में है।

जांच प्रतिवेदन से खुला घोटाला

  • 10 लाख से कम का कोई भी पहला टेंडर 15 दिन और दूसरा टेंडर 7 दिन से कम अवधि का नहीं हो सकता। 10 लाख से ज्यादा काम का पहला टेंडर 30 दिन और इसके बाद के टेंडर 15 दिन अवधि के होने चाहिए।
  • 17 टेंडर फाइलों की जांच में से इन टेंडर नियमों का पालन केवल एक ही टेंडर के मामले में किया गया है। अधिकांश में पहले टेंडर के लिए 4 से 11 दिन की अवधि ही दी गई। यह नियमों का घोर उल्लंघन है।
  • एक टेंडर 2 लाख के काम का था, काम खुला तो इसका भुगतान 15 लाख तक चला गया। सामुदायिक शौचालय के निर्माण के एक टेंडर में 9 लाख 77 हजार रुपए के बजाए 16 लाख 51 हजार रूपए का भुगतान कर दिया गया।
  • एक अन्य टेंडर 8 लाख 13 हजार रुपए का था, इसके विरूद्ध 19 लाख 14 हजार रूपए भुगतान कर दिया गया। जबकि नियम है कि किसी भी टेंडर की रकम में 20 प्रतिशत से ज्यादा व्यय नहीं होना चाहिए, इसके विपरीत कई टेंडर में टेंडर राशि से 8 गुना ज्यादा तक भुगतान कर दिया गया।
  • जांच अधिकारी ने अपने प्रतिवेदन में उल्लेख किया है कि यदि सकल राशि का एक ही टेंडर बुलाया जाता तो प्रतिस्पर्धी दरों से नगर निगम को नुकसान नहीं होता।
  • जांच अधिकारी ने प्रतिवेदन में यह भी लिखा है कि इन सभी प्रक्रियाओं के उल्लंघन कर स्वीकृत करने से लेकर भुगतान करने तक के लिए सभी प्रशासनिक अधिकारी उत्तरदायी है। ऑडिट को भी इससे अगल नहीं किया जा सकता है।

Next Post

क्रिप्टोकरेंसी का सरगना गिरफ्तार, गिरोह ने 26 देशों में 8 हजार लोगों से की थी 100 करोड़ की ठगी

Sun Jul 18 , 2021
जबलपुर में ठगे थे पौने 2 करोड़, गिरफ्तारी पर था 10 हजार का इनाम जबलपुर। क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर जबलपुर में पौने दो करोड़ रुपए की ठगी करने वाले रूपिंदर पाल सिंह छाबड़ा के सरेंडर करने के बाद भोपाल एसटीएफ पूछताछ में जुटी है। छाबड़ा सहित उसका गिरोह कुछ विदेशी […]