शहर में जब कोरोना संकट आया था तब डॉक्टरों ने आगे बढक़र मरीजों को देखा। उनकी समस्या के लिए दिन रात खड़े रहे। परन्तु अब डॉक्टरों के लिए बने नए फ्लैट को लेकर अस्पताल का प्रशासन और जिला प्रशासन अपने नियम कायदे लादने लगा है। जिसे सबसे ज्यादा जरूरत है उस डॉक्टर को मकान देने के स्थान पर पहुंच और सिफारिशी डॉक्टरों को फ्लैट का आवंटन कर दिया गया है।
सीएमएचओ और सिविल सर्जन जैसे जिम्मेदारों को जो जानकारी देनी थी, वह उन्होंने प्रशासन के पास तक सही तरीके से नहीं पहुंचाई और आवंटन समिति को लेकर विवाद शुरू हो गया। यह भी कहा जा सकता है कि आवंटन समिति भी राजनेताओं के इशारे पर काम करने लगी और उसने सही व्यक्ति को नजर अंदाज कर दिया।
अगर ऐसा नहीं होता तो आवंटन समिति ने जो 12 लोगों को गलत जानकारी देने के लिए नोटिस जारी किया है वह उस पर ही सवालिया निशान लगा रहा है। आखिर गलत जानकारी देने वालों को प्रश्रय किससे मिला था और वे किसके कहने पर इतनी हिम्मत जुटा सके। अगर इसकी पड़ताल की जाए तो साफ हो जाएगा कि सिविल सर्जन और सीएमएचओ की भूमिका क्या रही है।
सीएमएचओ रिटायर होने वाले हैं इसलिए अपनी दुकान जमाने में लगे हुए हैं। प्रशासन धृतराष्ट्र की तरह आंखों पर पट्टी बांधकर बैठा हुआ है।