नगर निगम द्वारा लगातार अवैध अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जा रही है। नगर निगम की यह कार्रवाई गरीब लोगों पर भी जारी है। नगर निगम की यह कार्रवाई काबिलेतारीफ है। सरकारी जमीन पर से अतिक्रमण हटना चाहिए। किन्तु नगर निगम को इस कार्रवाई के साथ मानवीय संवेदनाओं को भी ध्यान में रखना होगा।
नजरअली मिल के कम्पाउंड में हुई कार्रवाई में जो संघर्ष सामने आया है उसका यही कारण है। नगर निगम भले ही कह रहा हो कि पूर्व में नोटिस जारी कर दिये गये थे। किन्तु कब्जेधारी पक्ष का कहना है कि उन्हें नोटिस नहीं मिला है। दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क वितर्क हो सकते हैं। वर्तमान में जो वातावरण बना हुआ है उसमें गरीब और मध्यवर्गीय आदमी पहले से ही टूटा हुआ है।
पिछले लंबे समय से कोरोना और लाकडाउन ने स्थितियां खराब कर रखी हैं। इसका असर सभी की आर्थिक स्थिति पर पड़ा है। वहीं वर्तमान में व्याप्त मंहगाई भी सभी का जीना दूभर कर रही है। नगर निगम के आला अधिकारी इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए किसी को भी बेदखल करने के पूर्व सात दिन पहले उन्हें सूचना भेज दें।
यदि सात दिन में वह अपना निर्माण नहीं हटाता है तो बकायदा जेसीबी से उसे तोड़ दिया जायेे। नगर निगम में काम करने वाले अधिकारी कर्मचारी कितने जिम्मेदार हैं यह पूरा शहर जानता है।