उज्जैन, अग्निपथ। पंचांग की गणना के अनुसार विवाह हेतु श्रेष्ठ मुहूर्त 15 जुलाई को समाप्त हो चुके हैं और अब आज मंगलवार से देव शयन करेंगे। अब विवाह, यज्ञोपवित व अन्य मांगलिक के लिए प्रतीक्षा करनी होगी। इस बीच मंगलवार से चातुर्मास भी आरंभ होगा। यह समय धर्म, अध्यात्म, जप, तप, स्वाध्याय, तीर्थाटन आदि के लिए श्रेष्ठ होगा।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि जून माह में विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त 26 व 30 तारीख को बने थे। इसके बाद जुलाई माह में 1, 2 को विवाद मुहूर्त रहा। अंतिम मुहूर्त 15 जुलाई को था जो कि निकल चुका। आज 20 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ होगा, जिसमें जप, तप, तीर्थाटन किया जा सकता है। आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी आज 20 जुलाई को है। इसको देवशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
धर्म शास्त्र की मान्यता अनुसार देव शयनी एकादशी पर भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि का आतिथ्य स्वीकार करते हैं। इसके संबंध में विष्णु पुराण तथा अन्य पौराणिक मान्यताओं में भी उल्लेख प्राप्त होता है। यह समय 4 माह का बताया जाता है। इस कारण विशेषकर विवाह, यज्ञोपवित आदि का निषेध बताया गया है।
15 नवंबर से फिर होगी मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत
पंचांग की गणना के अनुसार मुहूर्त की श्रेणी में चातुर्मास के बाद विवाह आदि मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। हालांकि देवउठनी एकादशी के बाद ही इन मांगलिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। इस दृष्टि से विवाह मुहूर्त इस प्रकार हैं- नवंबर माह में 20, 21, 28, 29, 30। दिसंबर माह में 1, 6, 7, 11, 13, 15 दिसंबर से सूर्य की धनु संक्रांति है। इस दौरान विवाह नहीं हो सकते। वर्ष- 2022 में जनवरी माह- में 22, 23, फरवरी माह में 5,6,9 ,10,18,19। आगे मुहूर्त ना होने के कारण एवं सूर्य की मीन संक्रांति के कारण विवाह आदि नहीं हो सकेंगे।