जावरा/ रतलाम। जिले में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों के बाद लोकायुक्त पुलिस कैंप लगाकर जनसुनवाई कर रही है। लोकायुक्त उज्जैन एसपी शैलेंद्रसिंह चौहान ने मंगलवार को रतलाम पहुंचकर भ्रष्टाचार संबंधित मामलों की जनसुनवाई की है। सर्किट हाउस पर लगाए गए इस कैंप में 20 आवेदकों ने भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की शिकायत लोकायुक्त एसपी से की है।
लोकायुक्त पुलिस एसपी ने बताया कि संभाग के दूरस्थ क्षेत्रों के भ्रष्टाचार से पीडि़त लोग उज्जैन आकर अपनी समस्या नहीं बता पाते हैं। जिसके लिए अब जिलों में कैंप लगाकर भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई की जा रही है। लोकायुक्त उज्जैन पुलिस एसपी की जनसुनवाई में आज 20 आवेदकों ने भ्रष्टाचार संबंधित शिकायत की है।
जिसमें नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार किए जाने की शिकायत प्रमुख है। लोकायुक्त एसपी ने बताया कि लगभग सभी विभागों से संबंधित शिकायत प्राप्त हुई है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत आने वाले मामलों के प्रमाण शिकायतकर्ता से लेकर जांच की जाएगी। अब हर महीने जनसुनवाई शिविर लगाया जाएगा।
जेवीएल की जमीनों की नीलामी में धांधली की भी शिकायत
जनसुनवाई में नगरीय निकायों में भ्रष्टाचार और जेवीएल की जमीनों की नीलामी में हुई धांधली कि शिकायत प्रमुख है। शिकायतकर्ता संजय मुसले ने बताया कि जयंत विटामिंस लिमिटेड (जेवीएल) के श्रमिकों के बकाया भुगतान के लिए कोर्ट के आदेश पर जेवीएल की जमीनों की नीलामी की गई थी। जिसमें तत्कालीन अधिकारियों द्वारा नीलामी में भाग लेने वाले लोगों के साथ सांठगांठ कर शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया है । शिकायतकर्ता का आरोप है कि नीलामी में जमीन खरीदने वाले प्रथम बोलीकर्ता की बजाए किसी अन्य व्यक्तियों के नाम रजिस्ट्री करवा दी गई।
नामली नगर परिषद के सीएमओ द्वारा केशव सिंह सगर द्वारा नियम विरुद्ध चलित शौचालय, फायर फाइटर, वेक्यूम मशीन और हाईमास्ट आदि अनावश्यक सामग्री की खरीदारी करने और लाखों रुपए के भ्रष्टाचार की शिकायत स्थानीय शिकायतकर्ता ने की है। वहीं, सैलाना नगर परिषद में झील संरक्षण योजना के अंतर्गत वर्ष 2015 में 25 लाख रुपए की प्रथम किस्त में तत्कालीन सीएमओ और नगर परिषद अध्यक्ष द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायत स्थानीय लोगों ने की है।
रतलाम नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त एसके सिंह की शिकायत भी स्थानीय भाजपा नेताओं ने की है। शिकायत में भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनाई गई बिल्डिंगों में रेरा और टीएनसीपी की परमिशन लिए बिना ही निर्माण कर दिया गया और ठेकेदार को 18 करोड़ की राशि भी जारी कर दी गई।