पुरातत्व वेत्ता ने मुगलकालीन होने की बात कही, पुजारी ने कहा- साधु संत की समाधियों के भी हो सकते हैं अवशेष
उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर परिसर में चल रही खुदाई के दौरान मानव हड्डियां मिलने से पुरातत्ववेत्ता ने यह अवधारणा पेश की है कि यह मुगलकाल में हुए नरसंहार के समय की हो सकते हैं। वहीं मंदिर के वरिष्ठ पुजारी द्वारा इस बात को भी पेश किया गया है कि अग्र भाग में साधु संत रहते थे। यहां उनकी समाधि हो सकती है। फिलहाल पुरातत्व विभाग द्वारा मामले की जांच की जा रही है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत महाकाल मंदिर विस्तारीकरण किया जा रहा है। मई माह से हुई खुदाई की शुरुआत में पहले छोटी-छोटी मूर्तियां और कुछ दीवारें मिलीं। पता चला, ये मूर्तियां अति प्राचीन हैं, तो कलेक्टर ने भोपाल पुरातत्व विभाग की टीम को बुलवाया। उन्हीं की देखरेख में खुदाई करवाई गई। धीरे-धीरे खुदाई में परमार कालीन समय में बनवाई गई अलग-अलग मूर्तियां और करीब 1000 वर्ष पुराना मंदिर का ढांचा मिला।
अब जैसे-जैसे खुदाई होती जा रही है, कई चौंकाने वाले रहस्य सामने आ रहे हैं। अब जानवरों और मानव हड्डियां मिलने से क्षेत्र के लोगों में चर्चा चल रही है कि आखिरकार मंदिर की नींव में नर कंकाल और हड्डियां किसकी है। फिलहाल हड्डियां मिलने से यहां काम कर रहे मजदूर सहमे हुए हैं। मंदिर के विस्तारीकरण के लिए यहां भोपाल पुरातत्व विभाग की देखरेख में खुदाई कार्य चल रहा है।
हालांकि एक्सपर्ट डॉ. धुवेन्द्रसिंह जोधा का मानना है कि यह कोई नई बात नहीं है। फिर भी इसकी जांच करानी चाहिए। संभवत: ये मुगलकाल के भी हो सकते हैं। मंदिर के पुजारी का कहना है कि अग्र भाग में साधु-संत रहते थे। संभावना है कि उनकी भी हड्डियां हो सकती हैं।
मानव हड्डियां नरसंहार का प्रमाण तो नहीं
खुदाई कर रहे रिसर्चर डॉक्टर धुर्वेन्द्रसिंह जोधा ने बताया कि खुदाई के दौरान नरकंकाल और हड्डियां निकल रही हैं। इनका अलग से परीक्षण किया जाना चाहिए, लेकिन खुदाई में मानव हड्डी और जानवरों की हड्डी निकलना सामान्य है। माना जा रहा है, जब 1000 वर्ष पुराना मंदिर का ढांचा निकला है। उस समय कि पुरातत्व धरोहरों से पता चलता है कि मुगलों द्वारा जब मंदिरों पर हमला कर लूटपाट की गई थी, उसके प्रमाण इन मंदिरों पर मिल रहे हैं, तो उस समय मुगल आतताईयों ने नरसंहार भी किए थे। यह प्राचीन नरकंकाल और मानव हड्डियां उन नरसंहारों का प्रमाण तो नहीं। इसका प्रमाण भी जांच के बाद ही पता चलेगा।
टनल की खुदाई में मिल चुके नरकंकाल
मंदिर में सन 2012-13 में कुंभ पर्व को लेकर मंदिर में बनाई जा रही टनल की खुदाई के दौरान भी तीन नरकंकाल मिले थे। उस दौरान कुंभ पर्व के चल रहे कार्यों में नरकंकाल की बात दब गई। डॉ. धुर्वेन्द्रहसिहं जोधा ने कहा कि मंदिर में खुदाई के दौरान अब तक 11वीं शताब्दी का परमार कालीन मंदिर, शिव परिवार की मूर्तियां, मंदिर स्थापत्य खंड उसके भाग, वास्तु खंड, मंजरी, कलश, आमलक, मंदिर के ऊपर 6 फीट का मिट्टी जमा थी। मंदिर के पुजारी महेश पुजारी ने कहा कि नर कंकाल मिलना रिसर्च का विषय है। संभवत: अग्र भाग में पहले कई साधु-संत रहते थे। उस दौरान संतों की समाधि होती थी।