कृषि उपज मंडी चुनाव : 11 लाख 38 हजार रुपए के हिसाब का मामला उठेगा साधारण सभा में

26 को होने वाली बैठक को लेकर सदभावना और विकास पैनल करने लगे व्यापारियों से संपर्क

उज्जैन। मंडी चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। 26 जुलाई को साधारण सभा की तैयारियों शुरू हो गई है। सदभावना पैनल और विकास पैनल के सदस्य 430 से ज्यादा व्यापारियों से संपर्क करने लगे हैं। साधारण सभा में मुख्य मुद्दा चुनाव कराने या आम सहमति से पदाधिकारियों का चयन कराना रहेगा।

सदभावना पैनल से जिले मंडी के प्रमुख व्यापारी हजारी लाल मालवीय का कहना है कि वे और उनकी पैनल के सदस्य चाहते हैं कि इस बार फिर से चुनाव हो। ताकि मंडी में साफ सुथरी छवि के व्यापारी चुनकर आए और कार्यकारिणी का गठन करें। इससे समाज और शहर में मंडी की साख बनेगी। इसके लिए लगातार सदस्य व्यापारियों से संपर्क करने में लगे हुए हैं। बुधवार को उन्हेल, भेरूगढ़ और आसपास के इलाकों में रहने वाले सदस्य व्यापारियों से मुलाकात की है। सबको चुनाव से होने वाले फायदे के विषय में बताया गया है।

सदस्यों ने उनके विचार से सहमत होकर चुनाव कराए जाने की सहमति दी है। वहीं बताया जा रहा है कि दूसरे गुट के सदस्यों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वे भी सभी सदस्यों से मुलाकात करने में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि आपसी सहमति से अगर संगठन के पदाधिकारियों का चुनाव हो जाता है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है। अगर सदस्य चुनाव कराना चाहते हैं तो वे चुनाव कराने के लिए भी तैयार है।

साधारण सभा में इस बार पूर्व पदाधिकारियों द्वारा 11 लाख 38 हजार रुपए खर्च किए थे, उसका हिसाब नहीं दिया था। इस बार साधारण सभा में सदस्यों द्वारा उनसे इसका हिसाब मांगा जाएगा। हजारी लाल मालवीय का कहना है कि अभी तक आधे से ज्यादा सदस्यों को नहीं पता है कि पूर्व कार्यकारिणी के सदस्यों ने इन पैसों को खर्च कहां किया था। इतने पैसे खर्च करने के लिए किस तरह की प्रक्रिया अपनाई गई थी और किन सदस्यों ने इसे खर्च करने के लिए सहमति दी थी।

सबका बन रहा गुप्त एजेंडा

बताया जाता है कि पैनल के अलावा सदस्यों ने भी अपना-अपना गुप्ता एजेंडा बनाना शुरू कर दिया है। चूंकि सब संपन्न परिवारों के व्यापारी हैं। इसलिए उनके सामने अपने -अपने एजेंडे को अमल में लाने में किसी तरह की परेशानी सामने नहीं आने वाली है। दो साल बाद मंडी के होने वाले चुनाव बेहद प्रतिष्ठापूर्ण माने जाते हैं। इसलिए कोई भी इसमें जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोडऩा चाहता है।

राजनीतिक दलों से जुड़े हैं कई व्यापारी

अनात तिलहन संघ के ज्यादातर व्यापारी राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं। संगठन तीस साल पुराना है। व्यापारियों को अपनी समस्या के समाधान के लिए सत्ताधारी दल की मदद लेनी पड़ती है। इसलिए कई सदस्य तत्कालीन सत्ताधारी दल के नेताओं से जुड़ गए। बाद में उनके साथ ही जुड़़े रहे। इसलिए उनकी पहचान उसी दल के सदस्य के रूप में हो जाती है। हालांकि व्यापारियों का कहना है कि वे संगठन के चुनाव राजनीति दलों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। परन्तु अपरोध रूप से राजनेता अपने -अपने समर्थकों को जिताने के लिए संपर्क अभियान का हिस्सा बनते हैं।

कर्मचारी को भेज रहे फीस भरवाने के लिए

दो साल में वार्षिक सदस्यता जमा करने पर सदस्य अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी अपने -अपने वोटरों को अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों को सदस्य व्यापारी के पास सदस्यता शुल्क लेने भेज रहे हैं। ये कर्मचारी संगठन का सदस्यता शुल्क लेकर मंडी में जमा करा रहे हैं।

दोनों गुट वरिष्ठ व्यापारियों को मनाने में जुट गए हैं

अनाज तिलहन संघ के चुनाव को लेकर जोर-अजमाइश करने वाले दोनों गुट के सदस्य इस समय मंडी के वरिष्ठ सदस्यों माणकलाल गिरिया, बजरंगदास, दिलीप गुप्ता आदि को अपने पक्ष में करने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं। हालांकि किसी भी वरिष्ठ सदस्य ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन दोनों गुटों के सदस्य दावेदार अपने संपर्कों के माध्यम से वरिष्ठ व्यापारियों व अन्य सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए जुट गए हैं।

अभी तक 10 से ज्यादा अध्यक्ष चुनाव लड़ चुके हैं। इसमें कई सदस्य के परिवार के लोग भी चुनाव में खड़े होने वाले हैं। इसकी वजह से वरिष्ठ सदस्य भी अपना रुख स्पष्ट नहीं कर रहे हैं, ताकि चुनाव के समय उनके झुकाव की वजह से परिवार के दूसरे सदस्यों को नुकसान न हो जाए।

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