पालकी निकलने का मार्ग भी वही परंपरागत शहनाई गेट रहेगा, जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने किया सवारी मार्ग का निरीक्षण
उज्जैन, अग्निपथ। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 25 जुलाई रविवार से श्रावण का उल्लास छाएगा। श्रावण मास शुरू होने के दूसरे दिन सोमवार 26 जुलाई को भगवान महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। शाम चार बजे शाही ठाठबाट के साथ अवंतिकानाथ का नगर भ्रमण शुरू होगा। सवारी का रूट तय करने के लिए गुरुवार की शाम को जिला और पुलिस प्रशासन की टीम ने मंदिर और सवारी रूट का दौरा किया। सवारी पिछले वर्ष ही भांति छोटे रूट से निकाली जाएगी और पालकी भी वही परंपरागत शहनाई गेट से निकाले जाने पर निर्णय हुआ।
भगवान चंद्रमौलेश्वर रूप में चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। श्रावण-भादौ मास में इस बार सात सवारी निकलेगी और भक्तों के शामिल होने पर प्रतिबंध रहेगा। कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर समिति इस बार पिछले वर्ष के मार्ग से ही सवारी निकाल रही है। महाकाल मंदिर से शुरू होकर सवारी बड़े गणेश मंदिर, हरसिद्घि चौराहा, झालरिया मठ के रास्ते सिद्घआश्रम के सामने से होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां पुजारी शिप्रा जल से भगवान का अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्घि की पाल होते हुए हरसिद्घि मंदिर के सामने से पुन: महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
भक्त ऑनलाइन करें दर्शन
प्रशासन ने भक्तों से घर में रहकर टीवी व मोबाइल फोन पर सवारी के दर्शन करने का अनुरोध किया है। अत्याधुनिक कैमरों से सवारी का सीधा प्रसारण किया जाएगा। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार भी श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल की सवारी में शामिल होने अथवा दर्शन नहीं करने दिए जायेंगे।
मंदिर के रूट के निरीक्षण के दौरान एडीएम और मंदिर प्रशासक नरेन्द्र सूर्यवंशी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमरेन्द्रसिंह, सीएसपी महाकाल पल्लवी शुक्ला, पं. आशीष गुरु सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहे।
पालकी परंपरागत शहनाई गेट से ही निकलेगी
भगवान महाकाल की सवारी मंदिर के सभामंडप में पूजन के पश्चात पालकी द्वार से होते हुए मंदिर प्रांगण और इसके बाद शहनाई गेट पर पहुंचेगी। यहां पर गार्ड आफ आनर के पश्चात सवारी अपने तय रूट पर रवाना होगी। पूर्व में इसके सामने खुदाई के चलते आशंका जताई जा रही थी कि मंदिर से सवारी निकाले जाने का मार्ग बदलना पड़ेगा। लेकिन शहनाई गेट के सामने पर्याप्त मार्ग होने से इस पर विराम लग गया है।