शुक्र मनाइये शांति प्रिय शहर में दंगे की स्थिति नहीं बनती। अगर दंगा हो गया तो हमारी पुलिस सिर्फ लाठियां घुमाएगी, क्योंकि संसाधन तो खराब हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे, यह तो खुद पुलिस कप्तान के सामने हुआ है। शुक्रवार को जब कप्तान साहब व्यवस्थाएं चैक करने लाइन में पहुंचे तो वे भी हैरत में पड़ गए। दंगा रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला वरुण वाहन सही दिशा में पानी नहीं फेंक पाया।
इसने दंगाइयों की जगह अपने विभाग पर पानी की तेज बौछार कर दी। इसी तरह दंगा रोकने में एक और उपयोगी वाहन वज्र स्टार्ट ही नहीं हुआ। पुलिस जवानों ने धक्का लगाया तब वज्र में जान आई। दंगाइयों की शिनाख्त के लिए पुलिस विभाग के पास एक सीसीटीवी सर्विलांस वाहन भी है। जो मौके पर पहुंचकर अपने चारों ओर लगे कैमरों से घटनाक्रम और दंगाइयों की फिल्म बनाकर उनकी शिनाख्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन इस वाहन के 18 में से 16 कैमरे बंद थे।
यह सब हालात देखकर कप्तान भी नाराज हो गए। इन अव्यवस्थाओं को देखकर साफ जाहिर है कि महकमा कितना सचेत और जिम्मेदार है। इसका फायदा सीधा-सीधा अपराधियों को मिल रहा है। अगर विभाग वाकई सचेत होता तो शहर में हो रही चेन स्नेचिंग की वारदातों के आरोपियों का सुराग पाने के लिए पुलिस को निजी कैमरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।