एक सदी का शिल्पकार होता है शिक्षक: मनावत
उज्जैन। जिस व्यक्ति के पास एक दिन का चिंतन हो वह मजदूर हो सकता है, जिस व्यक्ति के पास मात्र एक माह का चिंतन हो वह राजकीय कर्मचारी हो सकता है, जिस व्यक्ति के पास मात्र एक वर्ष का विचार है वह कृषक हो सकता है, जिस व्यक्ति के पास 5 वर्षों की योजना हो वह राजनेता हो सकता है, परंतु जिसके पास एक पीढ़ी के निर्माण काए एक युग को सवारने का और एक सदी को गढऩे का चिंतन और सामथ्र्य हो वही शिक्षक होता है।
यह विचार मानस मर्मज्ञ, शिक्षाविद पंडित श्याम मनावत ने व्यक्त किए। आपने शिक्षक और शिक्षा जगत से जुड़े विषयों पर कहा कि शिक्षक होना व्यवसाय नहीं वृत्ति है। शिक्षा जब धर्म नहीं रहती बल्कि धंधा बन जाती है तो पूरा युग अंधा बन जाता है। वे लोकमान्य टिळक शिक्षण समिति द्वारा आयोजित वार्षिक गुरु पूर्णिमा महोत्सव में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, शिक्षा का कार्य तीन भागों में विभाजित है, प्रथम जीवन का सफल होना, द्वितीय जीवन का सकुशल होना एंव तृतीय भाग है जीवन का सार्थक होना। शिक्षा की सफलता तभी निहित है जब पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तक और शिक्षण की पद्धतियों का समन्वय रखा जाए। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर लोकमान्य तिलक शिक्षण समिति के अध्यक्ष किशोर खंडेलवाल, कार्यपालन अधिकारी गिरिश भालेराव ने शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह द्वारा आगन्तुक अतिथि श्याम मनावत का स्वागत किया एवं प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु श्रेयस कवड़े, डॉ. रेखा भालेराव, कु.माधवी सगरे, डॉ. ज्योति विजयवर्गीय, डॉ. रेणुका पांचाल का सम्मान किया गया। व
हीं स्वाधीनता संग्राम सेनानी टिळक एवं चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर कीर्ति व्यास द्वारा एवं मालती जोशी ने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षीय उद्बोधन में किशोर खंडेलवाल ने सभी शिक्षकों एवं उपस्थित जनसमुदाय को गुरु पूर्णिमा पर्व की शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी को सार्थक एवं सकारात्मक दिशा में आगे बढऩा चाहिए।
अतिथि परिचय श्वेता गोस्वामी ने दिया । कार्यक्रम का संचालन रीनू आनंद ने किया एवं आभार प्रदर्शन मुकेश उमठ ने माना।