कैसा अजीब संयोग है, आसमान से पानी गिर रहा है, सडक़ों पर पानी-कीचड़ जमा है, लेकिन जहां से जलवितरण होना चाहिए, उन नलों के कंठ सूखे हैं। ये सब नगर निगम की मेहरबानी से ही संभव है। पहले तो पेयजल के लिए संरक्षित गंभीर डेम का पानी सहेज नहीं पाए और जलसंकट बताकर पहले एक दिन और बाद में दो दिनों के अंतराल से पेयजल वितरण व्यवस्था शुरू की।
अब जबकि गंभीर डेम और शिप्रा में भी पानी की आवक अच्छी हो चुकी है तो लाइन फूट गई। फूटी लाइन भी समय पर ठीक नहीं कर पाने में सक्षम निगम का अमला रोज बिना किसी शर्म के सिर्फ सूचना जारी कर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर रहा है कि फलां-फलां दिन इन-इन टंकियों से होने वाला जल वितरण नहीं किया जाएगा..।
जल वितरण कब होगा, इसका कोई उल्लेख नहीं है। बारिश के दिनों में जलसंकट झेल रहे लोगों के दिलों से पूछिए वो पानी के बिना कैसे गुजारा कर रहे हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के रूप मेें भी नगर निगम के पास कोई साधन नहीं है। शिप्रा-उंडासा से जल वितरण व्यवस्था नगर निगम पहले ही ठप कर चुकी है। इसे वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में भी चालू नहीं रखा गया। सिर्फ गंभीर डेम के भरोसे बैठा निगम अमला अब विकल्प के रूप में कोई सुविधा नहीं दे पा रहा है। जनता बेचारी हाथ पर हाथ धरे बैठी है।