नगर निगम ने शुक्रवार को निर्णय लिया है कि वो शहर के 14 सार्वजनिक उद्यानों को निजी हाथों पर लीज पर देगा। इसके पीछे उद्देश्य है कि उद्यानों पर होने वाले खर्च को निगम कम करना चाहता है। उद्योनों को निगम एवेंट एजेंसियों को तीन साल के लिए देगा। लीजधारक इन पार्कों का रखरखाव करेगा और बदले में यहां निजी पार्टियां व कार्यक्रम आयोजित कर सकेगा।
सार्वजनिक पार्क में कार्यक्रमों से होने वाले नुकसान व पर्यावरण को दृष्टिगत रखते हुए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल) ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। इसकी सिफारिश पर कोर्ट ने उद्यानों में निजी कार्यक्रमों पर रोक लगाई थी। जिस पर मध्यप्रदेश में सार्वजनिक पार्कों में निजी कार्यक्रमों पर रोक लगाने का कानून भी बन चुका है और इसके लिए जुर्माने और सामान जब्ती का प्रावधान है।
इस आशय के बोर्ड खुद नगर निगम ने ही अपने पार्कों में लगाए हैं, ताकि इन पार्कों में कार्यक्रम करने वालों को यह सूचना मिल सके। अब नगर निगम खुद इन पार्कों को लीज पर देने की योजना बना रहा है। यह सभी शहर के प्रमुख पार्क हैं। अब ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या नगर निगम कमाई के रास्ते बढ़ाने के लिए खुद अपने ही नियम तोड़ेगा। और क्या ऐसा करना नगर निगम के लिए संभव है। ऐसे मेें कोर्ट के आदेश का क्या होगा।