नलखेड़ा । सोने की छड़ी, रुपयों की मशाल, जरियन का जामा , मोतियन की माल जैसे उद्घोष करते द्वारपालों के साथ 24 तीर्थंकर परमात्मा के माता- पिता पूरे राजसी वेशभूषा धारण कर जब राज दरबार में आते हैं तो सभी हर्ष ध्वनि से जयकारा लगाकर प्रभु के जन्म का वृतांत सुनने को लालायित दिखाई दिए।
राज दरबार का ऐसा ही दृश्य जैन आराधना भवन में 24 तीर्थंकर परमात्मा के जीवन पर आधारित नाटिका मंचन के समय दिखाई दिया। स्थानीय जैन आराधना भवन में चातुर्मास हेतु विराजित साध्वी मुक्तिदर्शनाश्रीजी एवं अन्य साध्वी मंडल की प्रेरणा व पावन निश्रा में समाज में विभिन्न धर्म
आराधना चल रही है। बुधवार को जैन आराधना भवन में जैन धर्म के 24 तीर्थंकर परमात्मा के जीवन पर आधारित नाटिका का मंचन कार्यक्रम रखा गया। जिसमें समाज के 24 जोड़ों ने परमात्मा के माता-पिता बनकर राजसी वेशभूषा धारण कर सोने की छड़ी कंधों पर धारण किए हुए द्वारपालों के साथ पूरे ठाठ -बाट एवं ढोल की थाप पर राजदरबार में प्रवेश किया। जहां उनके द्वारा उपस्थित समाजजनों के समक्ष परमात्मा के जन्म के पूर्व उनकी माताओं द्वारा देखे गए 14 स्वप्न व परमात्मा के जन्म के बाद उनके जीवन के बारे का वृतांत सुनाया गया।
कार्यक्रम के दौरान प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ प्रभु से लेकर 24वें अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्म व जीवन काल के बारे में सुंदर प्रस्तुति दी गई। साध्वी निरागदर्शनाश्रीजी ने भी परमात्मा के जन्म के संबंध में ज्ञानवर्धक जानकारी सभी को दी वही समाज की बालिका मंडल द्वारा भी नृत्य के माध्यम से सुंदर -सुंदर प्रस्तुतियां प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में साध्वी मुक्तिदर्शनाश्रीजी के साथ साध्वी मंडल व समाजजन, महिलाएं तथा बच्चे उपस्थित थे।
24 तीर्थंकर के माता-पिता बने श्रावक श्राविकाओ का बहूमान का लाभ विनोदकुमार कैलाशचंद नारेलिया परिवार द्वारा लिया जाकर सभी का कंकू तिलक व श्रीफल से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रीति फाफरिया एवं रवि सकलेचा द्वारा किया गया। कार्यक्रम उपरांत परमात्मा के माता-पिता बने सभी जोड़े ढोल ढमाकों के साथ जिन मंदिरजी में दर्शन हेतु पहुंचे।