नगर निगम द्वारा इन दिनों सुअरों की धरपकड़ की मुहिम चलाई जा रही है। इंदौर की कंपनी को सुअरों की धरपकड़ का ठेका नगर निगम ने दिया है। इंदौर से आये ठेकेदार की टीम के सदस्य जगह-जगह सुअरों को पकड़ रहे हैं, इससे बौखलाए स्थानीय सूअर पालकों ने गुरुवार को सूअर पकड़ रहे युवकों पर हमला कर दिया।
सूअर की धरपकड़ के दौरान हमला होना नई घटना नहीं है। जब-जब सुअरों की धरपकड़ शुरू होती है, टीम पर हमला होता है। कई बार पत्थर बरसाए गए तो कभी गोलियां भी चली हैं। दो पक्षों में सूअर विवाद में उज्जैन में हत्याएं भी हुई हैं। अगर नगर निगम को ऐसी घटनाओं को रोकना है तो पहले खुद के विभाग के कर्मचारियों पर ही नकेल कसना होगी। कर्मचारियों की मिलीभगत से ही सूअर पालन चल रहा है।
पिछले दिनों मोहन नगर क्षेत्र में भी सूअर पकडऩे की कार्रवाई हुई थी। कार्रवाई होने के चंद मिनटों के भीतर सूअर पालक भी वहां पहुंच गए। कुछ समय बाद उनके सूअर फिर गलियों में धमाचौकड़ी मचाने लगे। इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि किस क्षेत्र में कब सुअरों की धरपकड़ की कार्रवाई होने वाली है, इसकी सूचना सूअर पालकों तक कैसे पहुंचती है। निश्चित ही इसमें नगर निगम कर्मचारियों का हाथ है। इनकी मिलीभगत के बिना यह अवैध व्यवसाय चल ही नहीं सकता। निगम अधिकारी इन पर पहले नकेल लगाएं।