सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय का आया आदेश, 2 प्रशिक्षु डॉक्टरों को भी आवास मिले
उज्जैन, अग्निपथ। चरक अस्पताल में स्थित आवास आवंटन का मामला अब और पेचीदा हो गया है। शुक्रवार को सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा जिला चिकित्सालय के 11 चिकित्सकों को आवास आवंटित कर दिए गए हैं। इसमें 2 प्रशिक्षु डॉक्टर भी शामिल है और एक दंत रोग विशेषज्ञ भी शामिल हैं। आवंटन का विरोध करने वाले डॉक्टर अजय दिवाकर को अंतिम आवास आवंटन में आवास आवंटित नहीं किया गया है। लिहाजा उनके द्वारा आज से अवकाश पर जाने की घोषणा कर दी गई है।
चरक अस्पताल परिसर में स्थित नवीन एफ टाइप क्वार्टर 11 चिकित्सकों को आकस्मिक सेवा देने के चलते आवंटित कर दिए गए हैं। शुक्रवार को सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल से आए आदेश के तहत आवास आवंटित किए गए हैं।
जिसमें जिला चिकित्सालय की दंत चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरती सोनकेसरिया, चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय राणा, चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिलीप वास्के, चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीपी जाटव, पीजीएमओ रौनक एलची, चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेंद्र गोमे, चिकित्सा अधिकारी डॉ. पंकज टांक, पीजीएमओ अजय दंडोतिया, चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिओम गुर्जर, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनु दुबे, पीजीएमओ अंशु वर्मा को आवास आवंटित किए गए हैं। वहीं सीएमएचओ डॉ. महावीर खंडेलवाल, सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा और एक एफ टाइप क्वार्टर रेस्ट हाउस के रूप में आरक्षित किए गए हैं।
एक-एक लाख रुपए लेने की चर्चा
अस्पताल गलियारों में इस बात की चर्चा चल रही है कि आवास आवंटन में आवंटन समिति को धोखे में रखकर अस्पताल ऐसे चिकित्सकों को आवंटित् कर दिए गए हैं, जोकि इसके पात्र नहीं हैं। अस्पताल के अधिकारियों द्वारा इसमें खेल किया गया है। चर्चा के अनुसार प्रत्येक आवास के आवंटन में 1-1 लाख रुपए लिए गए हैं। हालांकि आवास आवंटन समिति द्वारा अस्पताल के अधिकारियों के कहने पर आवास तो आवंटित कर दिए गए हैं। लेकिन इसको लेकर विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं।
आवास आवंटन में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा गड़बड़ घोटाले की बात कही जा रही है। कोई भी इस आवास आवंटन से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में इस आवास आवंटन को लेकर जरूरतमंद स्वास्थ्य कर्मचारियों ने आवाज भी उठाई थी। जिसमें सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. अजय दिवाकर का नाम भी प्रमुख रूप से शामिल है।
उन्होंने अपने जर्जर हुए मकान में रहते हुए आवास आवंटन के लिए अप्लाई किया था। लेकिन शासकीय नियम का आड़ा लेकर जिला प्रशासन ने इस के योग्य नहीं माना और इस्तीफे की पेशकश करने के बावजूद उनको आवास आवंटित नहीं किया गया। अब विरोध स्वरूप आज से वह अवकाश पर जाने का मन बना रहे हैं।