महाकाल दर्शन के लिए वीआईपी गेट पर धक्का-मुक्की, वीआईपी की कारें महाकाल प्रवचन हाल तक पहुंचीं
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में तीसरे रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु चार धाम प्रवेश द्वार पर भगवान महाकाल के दर्शन को पहुंचे। ऐसा लग रहा था मानो कुंभ मेला देखने के लिए भीड़ उमड़ आई हो। दूर दूर तक लोगों के सिर ही सिर नजर आ रहे थे। वहीं वीआईपी गेट पर प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं ने जमकर हंगामा मचाया। वहां पर तैनात पुलिस बल श्रद्धालुओं को कंट्रोल करने का प्रयास कर रहा था। लेकिन श्रद्धालु थे जो भगवान के दर्शन के लिए अपना आपा खो चुके थे। यहां पर तैनात महाकाल थाना टीआई व्यवस्था संभालने में असमर्थ नजर आए।
तीसरे रविवार को पिछले अन्य दो रविवार की अपेक्षा श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ भगवान महाकाल के दर्शन को पहुंची। दर्शन करने के बाद हरियाली अमावस्या होने के चलते यहीं से श्रद्धालु हरसिद्धि होते हुए रामघाट भी पहुंचते रहे। जिसके चलते चार धाम से लेकर हरसिद्धि मंदिर तक की रोड श्रद्धालुओं से खचाखच भरी नजर आई। यहां तक कि श्रद्धालुओं को एक दूसरे से बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए हुए सटकर बड़ी मुश्किल से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचना पड़ रहा था।
बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक होने के कारण जिला प्रशासन की व्यवस्था भी फेल नजर आई। भीड़ कहां मानने वाली थी। भीड़ का आगमन सुबह से लेकर लगातार ऐसा ही बना रहा। कोरोना का डर भी लोगों में नहीं था। लोग अपने बच्चों, बुजुर्गों और पूरे परिवार के साथ भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए चारधाम मंदिर से होते हुए महाकालेश्वर मंदिर पहुंच रहे थे। ऐसा लग रहा था मानों भीड़ कोरोना संक्रमण को दावत देने के लिए उमड़ रही हो। प्रशासन के प्री बुकिंग के नियम भी हवा हो गए। मंदिर में फ्री फॉर ऑल व्यवस्था के तहत दर्शन के लिए प्रवेश दिया गया। यहां लोगों ने ना तो मास्क लगा रखे थे और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ध्यान रखा जा रहा था।
हरियाली अमावस्या के चलते रामघाट पर स्नान
बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या रविवार को काफी अधिक थी। वहीं स्थानीय लोग भी हरियाली अमावस्या के चलते महाकालेश्वर मंदिर के चक्कर लगाते हुए राम घाट पर पहुंचे। चारधाम मंदिर से लेकर हरसिद्धि मंदिर और यहां से हरसिद्धि की पाल और रामघाट तक श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ था।
जिला प्रशासन द्वारा रोक नहीं लगाए जाने के कारण घाटों पर लोगों ने स्नान किया और दान पुण्य कर अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म और तर्पण भी कराया। ऐसे में घाट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु सुबह से ही पहुंच रहे थे और शाम होते-होते यह संख्या बढ़ती ही जा रही थी। यहां पर भी कुंभ स्नान जैसा दृश्य सामने आ रहा था।
महाराजवाड़ा के बगल से नया रास्ता बनाया
महाकालेश्वर मंदिर के सामने की रोड पर पहुंच गए श्रद्धालुओं को चारधाम या रामघाट पहुंचने के लिए काफी घूमकर जाना पड़ता। बड़ा गणेश मंदिर के बगल की गली को बेरिकेड से बंद कर दिया गया था। ऐसे में श्रद्धालुओं ने नया रास्ता तलाश कर लिया। वे महाराजवाड़ा स्कूल के बगल से होते हुए नीचे उतरकर बड़ा गणेश मंदिर के बगल की रोड पर उतरकर रामघाट और चारधाम की ओर जाते रहे।
वीआईपी प्रवेश गेट पर संभाल नहीं पाए व्यवस्था, दर्शनार्थियों के बीच धक्का मुक्की
महाकालेश्वर मंदिर के सामने स्थित महाकाल प्रीपेड यातायात बूथ के सामने जिला प्रशासन ने बैरिकेड लगाकर श्रद्धालुओं का प्रवेश रोक दिया था। यहां से वीआईपी प्रोटोकॉल प्राप्त श्रद्धालुओं को 4 नंबर गेट के लिए प्रवेश दिया जा रहा था। लेकिन यहां पर वीआईपी प्रोटोकॉल प्राप्त श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक थी कि एक दर्जन तैनात पुलिस कर्मियों से भी व्यवस्था संभल नहीं पा रहे थी। गेट की पूरी व्यवस्था महाकाल थाने के टीआई अरविंद सिंह तोमर के हाथ में थी। लेकिन उनका भी बस भीड़ पर नहीं चल रहा था। यहां पर मंदिर समिति के प्रोटोकॉल कर्मचारियों को भी ड्यूटी पर लगाया गया था।
लेकिन भीड़ लगातार विवाद करते हुए धक्का-मुक्की कर प्रवेश का प्रयास करती रही। महाकाल टीआई श्री तोमर का विवाद भी कई बार श्रद्धालुओं से हुआ और उन्होंने धक्का-मुक्की कर रहे श्रद्धालुओं पर अपना गुस्सा उतारते हुए उनको धक्का देकर प्रवेश से रोका। लेकिन श्रद्धालु मानने को तैयार नहीं थे। वह लगातार एक दूसरे को धक्का मारते हुए बैरिकेट्ड के अंदर प्रवेश करने का प्रयास करते रहे। बीच-बीच में टीआई श्री तोमर को वीआईपी बेरिकेड प्रवेश गेट को बंद करवाना पड़ा। यहां की सडक़ भी श्रद्धालुओं से खचाखच भर गई थी।
क्योंकि आसपास की गलियों में बेरिकेडिंग की व्यवस्था नहीं की गई थी। ऐसे में बिना प्रोटोकॉल प्राप्त श्रद्धालु भी वीआईपी गेट से प्रवेश करने का प्रयास करते रहे और पुलिस लगातार मशक्कत कर उनको रोकने का प्रयास करती रही। लेकिन वीवीआइपी की कारें वीआईपी बेरिकेड गेट से होती हुई महाकाल प्रवचन हाल तक पहुंचाई जाती रहीं। जिला प्रशासन ने अपने अधिकारियों के लिए व्यवस्था कर रखी थी जिसका खामियाजा आम श्रद्धालुओं को उठाना पड़ रहा था।