भूमि विकास नियम में अनुमति निरस्त करने से पहले सुनवाई जरूरी
उज्जैन, अग्निपथ। ऋषिनगर पेट्रोल पंप के पास एक विवादित भवन की अनुज्ञा निरस्त कर नगर निगम के अधिकारियों ने एक तरह से बिल्डर की मदद ही की है। भूमि विकास नियम 2012 में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी भवन की अनुज्ञा निरस्त करने से पहले अनुज्ञा लेने वाले को सुनावाई का एक अवसर देना जरूरी है।
ताजा मामले में ऐसा नहीं किया गया। न किसी तरह का नोटिस जारी हुआ न ही सुनवाई हुई। नगर निगम ने ताजा मामले में सीधे भवन अनुज्ञा निरस्त कर बिल्डर को कोर्ट से स्थगन आदेश लाने का रास्ता साफ कर दिया है।
देवासरोड पर ऋषि नगर पेट्रोल पंप के पास निर्माणाधीन बहुमंजिला बिल्डिंग को नगर निगम द्वारा 1 मार्च 2021 को भवन अनुज्ञा जारी की थी। एक शिकायत के बाद इस बिल्डिंग के लिए जारी नजूल अनापत्ति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया और ग्राम तथा नगर निवेश विभाग ने बिल्डिंग का ले-आउट निरस्त कर दिया।
ग्राम तथा नगर निवेश विभाग के इसी फैसले को आधार बनाकर नगर निगम के अधीक्षण यंत्री सह नगर निवेशक ने भी भवन अनुज्ञा को निरस्त कर दिया। भवन अनुज्ञा निरस्त करने के लिए मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 के नियम 25 को आधार बनाया गया है। वास्तव में इसी नियम के अंतर्गत सुनवाई का अवसर देना जरूरी बताया गया है।
क्या कहता है नियम 25
प्राधिकारी नियमों के उपबंधों के अधीन प्रदान की गई अनुज्ञा को निलंबित या प्रतिसंह्रत कर सकेगा यदि उसके पास यह विश्वास करने का कारण हो कि ऐसी अनुज्ञा मिथ्या कथन अथवा किसी सारवान तथ्य के दुव्र्यवपदेशन के आधार पर प्राप्त की गई हो अथवा अनुज्ञा में अधिरोपित शर्तो का उल्लंघन किया गया हो अथवा अधिनियम अथवा उसके अधीन निर्मित नियमों के उपबंधों का प्रेक्षण नहीं किया गया हो, परंतु ऐसा कोई आदेश तब तक पारित नहीं किया जाएगा जब तक कि ऐसे व्यक्ति को जिसने अनुज्ञा प्राप्त की हो, सुनवाई का एक अवसर प्रदान न कर दिया गया हो।
इनका कहना
हमने ग्राम तथा नगर निवेश द्वारा स्वीकृत ले-आउट के आधार पर ही भवन अनुज्ञा जारी की थी। जब ग्राम तथा नगर निवेश विभाग ने ले-आउट ही निरस्त कर दिया है तो फिर भवन अनुज्ञा का कोई आधार नहीं रह जाता है। इसी वजह से भवन अनुज्ञा निरस्त की गई। -जी.के. कंठिल, नगर निवेशक