झााबुआ। अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चे ने शनिवार को कार्य का बहिष्कार किया। सभी कर्मचारी कार्यालय तो पहुंचे, लेकिन किसी भी कर्मचारी ने सुबह नौ से शाम पांच बजे तक काम नहीं किया और काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। इस दौरान शिकायत लेकर आने वाले उपभोक्ताओं को खाली हाथ लौटना पड़ा।
कार्य के बहिष्कार के कारण कई उपभोक्ता बिजली बिल, मीटर बंद होने व बिलों को सही करवाने के लिए विद्युत कार्यालय पहुंचे, लेकिन उनकी शिकायतें नहीं सुनी गईं। कर्मचारी कार्यालय बंद कर बाहर खड़े रहे। उन्होंने किसी भी उपभोक्ता की शिकायत दर्ज नहीं की। यह सिलसिला शाम पांच बजे तक चलता रहा। कई उपभोक्ता ऐसे भी थे, जो बिजली बंद होने की शिकायत लेकर पहुंचे थे।
नहीं सुन रहे
शहर के उपभोक्ता मुकेश डामोर ने बताया कि उनके घर की बिजली रात में बंद हो गई थी। वे सुबह अपनी शिकायत लेकर विद्युत विभाग पहुंचे, लेकिन कोई भी कर्मचारी उनकी शिकायत सुनने को तैयार नहीं हुआ। आंदोलन के कारण आम लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं।
शहर के उपभोक्ता भावेश शर्मा बिजली बिल में संशोधन करवाने के लिए कार्यालय आए थे। उनका कहना था कि सभी कर्मचारी कार्यालय बंद कर बाहर बैठे थे। किसी भी तरह का कार्य करने से उन्होंने इंकार कर दिया था। लोग परेशान हो रहे थे।
यह थी मांगें-विद्युत विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि उनके 17 संगठनों द्वारा बनाए गए संयुक्त मोर्चे के आव्हान पर सुबह 9 से शाम 5 बजे तक कार्य का बहिष्कार किया गया है। विद्युत विभाग के पास शनिवार सुबह से शाम तक 6 आनलाइन शिकायतें प्राप्त हुई, लेकिन इन शिकायतों का भी निराकरण शाम तक नहीं हो पाया। कई उपभोक्ताओं ने तो मीटर बंद, बिजली बंद के अलावा सर्विस वायर बदलने की शिकायत की।
ये हैं मांगें
- विद्युत वितरण कंपनियों का निजीकरण पर रोक लगे
- संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण हो
- आउटसोर्स कर्मियों के कंपनी में संविलयन पर रोक लगे
- महामारी में दिवंगत अधिकारी-कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित कर 50 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति का भुगतान उनके स्वजनों को किया जाए
- बिना तर्क के अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए
- केंद्र सरकार के समान सभी कर्मचारियों को 28 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जाए।
निजीकरण का विरोध
संयुक्त मोर्चा बिजली संगठन के आव्हान पर पेटलावद- झकनावदा में शनिवार को बिजली विभाग के कर्मचारी और अधिकारी विभाग के निजीकरण करने के विरोध में काम बंद कर दिया और हड़ताल पर रहे। इससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हास्पीटल को छोडक़र कहीं पर भी लाइन फाल्ट होने पर या बंद होने पर कर्मचारियों द्वारा कार्य नहीं किया गया। बिजली बिल भी नहीं भरे गए। सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। उन्होंने कहा कि सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी तो 13 अगस्त से सभी कामों का बहिष्कार करेंगे। इस दौरान सुभाष नानेचा, भगवती प्रसाद जायसवाल, लाल सिंह चौहान, गणेश पाटीदार, कोमल सिंह ठाकुर, हेमंत बामनिया, बलराम पाटीदार, दामोदर पङियार आदि उपस्थित थे।