संतों व विश्व हिंदू परिषद की बैठक, शेष सवारियां परंपरागत मार्ग से निकालें, स्वरूप नहीं निकालना भी गलत
उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व सवारी निकलने के दौरान होने वाली अव्यवस्थाओं को लेकर उज्जैन के संतों व विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों की बैठक चारधाम मंदिर में महामंडलेश्वर शांतिस्वरूपानंद गिरि महाराज के आतिथ्य में हुई।
यह जानकारी देते हुए विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री मनीष रावल ने बताया बैठक में संतों व विहिप के पदाधिकारियों ने महाकाल दर्शन एवं श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली महाकाल की सवारियों के दौरान प्रशासन द्वारा की जाने वाली व्यवस्थाओं पर आक्रोश जताते हुए प्रशासन को चेताते हुए कहा कि महाकाल मंदिर में देश-विदेश से आए भक्तों को नि:शुल्क व सुलभ दर्शन कराए जाएं तथा सवारी भी लोगों को मार्ग में जो जहां है उसे वहीं से सुलभता से देखने दें।
वहीं तीसरी सवारी में यह भी देखने में आया कि महाकाल का एक स्वरूप ही नहीं निकाला गया जो कि परंपराओं के विरुद्ध होकर बिल्कुल गलत है। साथ ही संतों ने बैठक में कहा कि वर्ष में एक बार होने वाले नागचंद्रेश्वर दर्शन की व्यवस्था भी प्रशासन श्रद्धालुओं के लिए कोरोना की गाइड लाइन का पालन करते हुए करें।
साथ ही आगामी सवारियों का मार्ग परिवर्तित करते हुए पुराने नगर भ्रमण की व्यवस्था को लागू करें। यदि प्रशासन उक्त बिंदुओं पर सकारात्मक निर्णय नहीं लेता है तो संत समाज शनिवार को सडक़ पर उतरकर हिंदू संगठनों के साथ विरोध दर्ज कराएगा। बैठक में प्रमुख रूप से महामंडलेश्वर आचार्य शेखर महाराज, रामानुजकोट के पीठाधीश्वर रंगनाथाचार्य महाराज, स्वामीनारायण आश्रम त्रिवेणी के आनंदजीवन दास महाराज, पंचांगकर्ता एवं ज्योतिषाचार्य पंडित आनंदशंकर व्यास, विश्व हिंदू परिषद के विभाग मंत्री महेश तिवारी, जिला अध्यक्ष अशोक जैन, जिला मंत्री मनीष रावल, जिला समरसता प्रमुख महेश यादव, बजरंग दल सहसंयोजक पिंटू कौशल, पंडित वासुदेव शास्त्री आदि उपस्थित थे।