सच को झूठ और झूठ को सच बताने में भाजपा सरकार का कोई सानी नहीं। कोरोना काल में आंकड़ों की बाजीगरी दिखाने वाली सरकार ने अब शराब कांड पर भी लीपापोती शुरू कर दी है। 14 अक्टूबर 2020 में महाकाल की नगरी में जहरीली शराब जिसे स्थानीय लोग झिंझर भी बोलते हैं, पीने से करीब 18 मौते हुई थीं।
उस वक्त भी प्रशासन ने आंकड़ों की बाजीगरी दिखाते हुए सिर्फ 12 मौतें जहरीली शराब से होना स्वीकारी थी, शेष मौतों का कारण अन्य बता दिया। लेकिन अब तो हद हो गई। सरकार के मंत्री विधानसभा में जबाव दे रहे हैं कि 12 मौते जहरीली शराब से नहीं बल्कि किसी रसायन से हुई थी। अगर यह सही है तो फिर घटना के बाद पकड़ी गई जहरीली शराब, शराब बनाने का कारखाना, आरोपियों की धरपकड़ और अफसरों के ट्रांसफर यह सब क्या था।
समझ नहीं आता आखिर किसे बचाने के लिए सरकार झूठ का सहारा ले रही है। कोरोना काल में भी हजारों मौतें हुई और कागजों पर दस प्रतिशत भी दर्ज नहीं हुई। अभी-भी कोविड प्रोटोकाल के मुताबिक लाशें श्मशान पहुंच रही है और उनका दाह संस्कार हो रहा है, अस्पताल में मरीजों का इलाज हो रहा है। लेकिन रिकार्ड में सब कुछ शून्य आ रहा है।
आखिर क्या है इस झूठ का राज। सच्चाई स्वीकार करने में डर कैसा? महाकाल से तो डरिये, क्योंकि सच उनसे छिपा नहीं है।