महाकाल में विवाद: भाजपा नेता विजयवर्गीय, विधायक बेटे और रमेश मेंदोला के साथ नागचंद्रेश्वर के दर्शन बाद गर्भगृह में पहुंचे, नेताओं को देख पुजारी भडक़े
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी की अलसुबह कैलाश विजयवर्गीय, विधायक पुत्र आकाश और भाजपा विधायक रमेश मेंदोला नागचंद्रेश्वर के दर्शन के बाद हरिओम जल चढ़ाने गर्भगृह में पहुंच गए। उनके आते ही प्रशासन ने मंदिर के सभी गेटों पर ताला लगवा दिया। जिससे भस्मारती में श्रृंगार करने वाले पुजारी और पुरोहितों को सूर्यमुखी गेट पर ही रोक लिया गया। ऐसे में श्रृंगार लेट होता देखकर पुजारी-पुरोहित भडक़ गए और विरोध स्वरूप अपने गले में डले आई कार्ड उतार दिए।
नाग पंचमी की सुबह 2 बजे के लगभग भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय उनका बेटा आकाश और रमेश मेंदोला 4 नंबर गेट से होते हुए महाकाल प्रवचन हाल पहुंचे। यहां से उन्होंने सूर्यमुखी गेट होते हुए नागचंद्रेश्वर तक पहुंच कर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन पूजन किए। पश्चात तीनों चांदी गेट की चाबी लेकर अंदर पहुंचे और उन्होंने गर्भगृह में भगवान महाकाल का दर्शन पूजन अर्चन किया।
पुजारी-पुरोहितों की अधिकारी से झड़प
कैलाश विजयवर्गीय और उनके अन्य साथियों के कारण प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए पुजारी अजय और अन्य पुजारी -पुरोहितों को यातायात प्रीपेड बूथ के आगे लगे हुए बैरिकेड और सूर्यमुखी गेट पर रोक लिया। पुजारी अजय ने जब सूर्यमुखी गेट पर तैनात वाणिज्य कर अधिकारी दिनेश जायसवाल से रोकने की वजह पूछी तो वह बहस करने लगे। इसी बीच पुजारियों ने सभा मंडप में कैलाश विजयवर्गीय के साथ आकाश और रमेश मेंदोला को देखा तो वह भडक़ गए और हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत करेंगे।
मंदिर के सीसीटीवी भी बंद कर दिए
भाजपा नेता जब गर्भगृह में गए उस वक्त प्रशासन ने मंदिर के सीसीटीवी कैमरे भी बंद करवा दिए थे। वहीं नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन करते समय मंदिर प्रांगण की लाइट तक बंद करवा दी थी। पूजन करने के बाद वे जब सभा मंडप से निकलकर सूर्य मुखी मंदिर के बगल से जा रहे थे तो उनको सूर्यमुखी गेट के ऊपर खड़े हुए मीडियाकर्मी ने सवाल किया तो विधायक मेंदोला ने अपने मुंह पर दुपट्टा ढंक लिया। कैलाश विजयवर्गीय ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया। जिसके चलते मामले को लेकर हंगामे की स्थिति बन गई।
हर सोमवार चोरी-चुपके हरिओम जल, कैमरे भी कर देते हैं बंद
नियमानुसार सुबह 3 बजे मंदिर के पट खोलकर शयन आरती के समय भगवान महाकाल को चढ़ाए गये हारफूल, वस्त्र, मेवा, मिष्ठान्न को हटाया जाता है। इसके बाद शिवलिंग पर पंचामृत, अक्षत, गंध, पुष्पमाला चढ़ाई जाती है। सुबह 3.३० बजे घंटी बजाई जाती है। फिर अभिषेक और हरिओम जल चढ़ाया जाता है। कोरोना काल में सिर्फ पांच लोगों को हरिओम जल चढ़ाने की अनुमति प्रशासन देता है। ऐसे लोगों को हरिओम जल चढ़ाने की अनुमति मिलती है जो पिछले एक वर्ष से अधिक समय से भस्मारती में नियमित श्रद्धालु है। इसके बाद श्रृंगार और भस्मारती होती है।
पिछले 1 वर्ष से अधिक समय से महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में पुजारी-पुरोहितों के अलावा किसी के भी प्रवेश पर पाबंदी है। मंदिर सूत्रों का कहना है कि हरिओम जल चढ़ाने के लिए सावन के प्रत्येक सोमवार को इंदौरी भाजपा नेता महाकाल मंदिर के गर्भगृह में पहुंचते हैं। चोरी-चुपके चल रही मनमानी को उजागर होने से बचाने के लिए मंदिर प्रशासन इस दौरान सीसीटीवी कैमरे भी बंद करवा देता है।
ये लोग हरिओम जल के बहाने गर्भगृह में प्रवेश करते हैं और पूजन-अभिषेक कर भस्मारती के पहले ही लौट जाते हैं। नागपंचमी पर भी यही सबकुछ हुआ लेकिन भस्मारती में शामिल होने वाले पंडितों को रोकने और नागपंचमी कवरेज के लिए मंदिर परिसर में मीडिया की मौजूदगी के कारण यह मामला उजागर हो गया।
हालांकि कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि भस्मारती तय समय पर ही हुई है लेट होने की बात गलत है। मामले में पुजारी-पुरोहितों ने मांग की है कि इस मामले की जांच होना चाहिए कि गर्भगृह में प्रवेश किसकी अनुमति पर दिया गया।