फर्जी मार्कशीट से तीन साल शिक्षक बना रहा, तीन साल की सजा

उज्जैन,अग्निपथ। फर्जी मार्कशीट से सरकारी स्कूल में शिक्षक बनने के मामले में मंगलवार को नागदा कोर्ट ने फैसला सुनाया। 20 साल पहले दर्ज केस में न्यायालय ने दोषी को तीन साल कैद के साथ अर्थदंड दिया है।

ग्राम बेड़ावन निवासी बाबूलाल पिता रतनलाल (51) ने सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी के लिए 16 अक्टूबर 1998 को माधव महाविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की अंकसूची पेश की थी। इसी आधार पर शिक्षाकर्मी वर्ग-1 के उसे नियुक्त कर शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उन्हेल में पदस्थ किया था। बाद में स्कूल के प्राचार्य भारतसिंह परिहार ने माधव कॉलेज व विक्रम विश्वविद्यालय से परीक्षण कराया तो अंकसूची फर्जी निकली।

नतीजतन नगर पंचायत द्वारा 31 अगस्त 2001 को नियुक्ति रद्द करने पर परिहार ने बाबूलाल के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। मामले में अब तक की सुनवाई के पश्चात मंगलवार को नागदा की प्रथम श्रेणी न्यायाधीश पूनम डामेचा ने फैसला सुनाया। उन्होंने बाबूलाल को दोषी सिद्ध होने पर धारा 420, 468 भादवि में 3-3 वर्ष सश्रम कारावास व दस हजार रुपए अर्थदंड दिया। प्रकरण में शासन का पक्ष एडीपीओ विनय अमलियार ने रखा। जानकारी जिला लोक अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने दी।

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