महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक ने पहुंचकर वापस दान पेटी में डलवाए
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में व्यवस्था में तैनात एक कर्मचारी को जज के बेटे ने दो हजार रुपए दान में दे दिए। इस बात की जानकारी अन्य प्रोटोकाल कर्मचारी को लगी तो उन्होंने इस पर हंगामा मचा दिया। मंदिर के अधिकारी वहां पर पहुंचे और व्यक्तिगत दान किए हुए रुपयों को मंदिर की दानपेटी में डलवाया। तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ। हालांकि मामले की शिकायत नहीं हुई है।
महाकालेश्वर मंदिर में किसी भी कर्मचारी को श्रद्धालु से सीधे तौर पर दान (दक्षिणा) लेने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। पहले भी कई मामले में प्रकाश में आ चुके हैं, जिसमें कर्मचारियों को नौकरी तक से हाथ धोना पड़ा है। इनमें महिलाओं तक की नौकरी दांव पर लग चुकी है। गुरुवार की अपराह्न 11 बजे के लगभग एक जज के पुत्र प्रोटोकाल कर्मचारी के साथ गणपति मंडपम की पहली रैलिंग पर पहुंचे। उनकी आस्था जागी और उन्होंने वहां पर तैनात एक कर्मचारी को 2 हजार रुपए दान कर दिए।
व्यक्तिगत रूप से यह रुपए दान किए गए थे। लेकिन जब इस बात की जानकारी उनको साथ में लाए प्रोटोकाल कर्मचारी को लगी तो उसने शिकायत करने का मन बनाया और सहायक प्रशासक प्रतीक व्दिवेदी को इस बात की सूचना दी। उस समय वे मंदिर में ही मौजूद थे। जानकारी लगने पर सहायक प्रशासक श्री द्विवेदी और अन्य वरिष्ठ कर्मचारी वहां पहुंचे।
मेरी इच्छा से दिए रुपए
जानकारी में आया है कि जब सहायक प्रशासक व्दिवेदीमामला समझने के लिए वहां पहुंचे तो जज के बेटे ने उनके ही सामने कहा कि… हां मैंने मेरी इच्छा से रुपए दिए हैं। यह बात सुनकर मामला पूरी तरह से साफ हो गया। बाद में उस कर्मचारी से दान में लिए हुए 2 हजार रुपए दानपेटी में डलवा दिए गए।
पहले भी तीन महिला कर्मचारी नप चुकीं
श्रद्धालुओं द्वारा भगवान महाकाल के दर्शन से खुश होकर कर्मचारियों को पैसे बांटने का मामला कोई नया नहीं है। पहले भी मंदिर के कर्मचारियों को श्रद्धालु खुश होकर पैसे बांटकर जा चुके हैं। लेकिन एक मामला ऐसा भी आया था कि जब नंदीहाल में कार्यरत तीन महिला कर्मचारी बांटे हुए पैसों के बंटवारे को लेकर आपस में मारपीट पर उतारू हो गई थीं। इन महिला कर्मचारियों का वीडिया वायरल होने के बाद मंदिर प्रबंध समिति ने उनको नौकरी से बाहर निकाल दिया था।
इसी तरह एक इंदौर का श्रद्धालु नीचे से लेकर उपर तक के कर्मचारियों को जब भी मंदिर दर्शन को आता पैसा बांटकर जाता था। इसके वीडियो और समाचार भी मीडिया में प्रकाशित हुए थे। तात्कालिन कलेक्टर ने उसके मंदिर में आने पर प्रतिबंध लगा दिया था और धारा-188 में कार्रवाई करने की चेतावनी जारी की थी।