रक्षाबंधन आज, सबसे पहले महाकाल को बंधेगी राखी, 11 हजार लड्डुओं का लगेगा भोग

बड़ा गणेश को 51 फीट बड़ी सोने की गिन्नी की राखी बंधेगी

उज्जैन, अग्निपथ। भाई-बहनों के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व सबसे पहले भगवान महाकाल के आंगन में मनाया जाएगा। रविवार सुबह सबसे पहले भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल को राखी अर्पित की जाएगी। इसके साथ ही बड़ा गणेश मंदिर में भी 51 फीट और सोने की गिन्नी की राखी भगवान गणेश को चढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही पूरे शहर सहित भारतवर्ष में राखी बांधने का सिलसिला शुरू होगा जोकि बहनों द्वारा अपने भाइयों की कलाइयों पर जन्माष्टमी तक बांधी जाएगी।

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पुजारी संजय शर्मा और अजय शर्मा ने बताया कि इस बार भगवान महाकाल को भस्मारती में ओम लिखी राखी बांधी जाएगी। इसके साथ ही 11 हजार लड्डुओं का महाभोग भगवान महाकाल को चढ़ाया जाएगा। कोरोना संक्रमण को देखते हुए परंपरागत सवा लाख लड्डुओं की जगह केवल 11 हजार लड्डू भगवान महाकाल को अर्पित किए जाएंगे।

महाकाल मंदिर के पास ही बड़े गणेश मंदिर के लिए भी देश भर से बहनों ने राखी भेजी हैं। जिसमें सिंगापुर अमेरिका सहित अन्य देशों से प्रतिवर्ष भगवान बड़ा गणेश को बहने राखी भेजती हैं। मुंबई निवासी राजकुमारी जैन ने सोने की गिन्नी वाली राखी भी भेजी है। जोकि प्रतिवर्ष भगवान गणेश को रक्षाबंधन वाले दिन अर्पित की जाती है। इसके साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी 51 फीट की राखी भी भगवान बड़ा गणेश को अर्पित की जाएगी।

प्रदोष काल में भद्रा नहीं, दिनभर बांध सकेंगी राखी

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार 22 अगस्त रविवार को श्रावणी पूर्णिमा पर धनिष्ठा नक्षत्र व शोभन योग रहेगा। योग नक्षत्र की यह स्थिति समस्त प्रकार के दोषों का निवारण करती है। इसलिए धर्मशास्त्रीय मान्यता में इस बार की राखी विशेष शुभ है। पंचांगीय गणना के अनुसार 16 अगस्त को सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश होगा।

इस राशि में पहले से ही मंगल व बुध विद्यमान है। इससे मंगल बुधादित्य योग का निर्माण होगा। कुंभ राशि में वक्रगत होकर भ्रमण कर रहे बृहस्पति की सातवीं दृष्टि मंगल बुधादित्य त्रिग्रही युति पर रहेगी। यह रक्षाबंधन पर्व के लिए अनुकूलता के साथ शुभफलकारी होगी।

गुरु के शुभ प्रभाव का दुर्लभ योग

पं डब्बावाला ने बताया कि रक्षाबंधन के पर्व पर देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव रहेगा। किसी भी पर्व त्योहार पर देवगुरु का प्रभाव अत्यंत ही शुभ माना जाता है। पंचांगीय गणना के अनुसार राखी के दिन शोभन योग व धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार शोभन योग के स्वामी स्वयं बृहस्पति हैं। इधर 18 अगस्त को व्रकी बृहस्पति धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश कर चुके हैं। इस दृष्टि से त्योहार के दिन योग व नक्षत्र दोनों पर गुरु का विशेष प्रभाव परिलक्षित होगा। यह स्थिति साढ़े बारह वर्ष बाद निर्मित हो रही है।

शुभ मुहूर्त में बांधें राखी

  • प्रात: 9.20 से 10.55- लाभ
  • प्रात: 10.56 से 12.31- अमृत
  • दोपहर 2.05 से 3.43- शुभ
  • सांय 6.51 से 8.20- शुभ
  • रात्रि 8.21 से 10.50- अमृत
    (आज प्रात: 6.14 बजे तक भद्रा)
    पं. चंदन श्यामनारायण व्यास

पशुपतिनाथ के लिए 11 फीट की राखी

  • 49 वर्षों से पहले बाबा को फिर बाद में भाई को बांधती है राखी, एक महीने पहले से ही बनाने में जुट जाती हैं

रक्षाबंधन पर मंदसौर के अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ को 11 फीट लंबी आकर्षक राखी बांधी जाएगी। मंदसौर की एक बहन निर्मला गुप्ता भगवान पशुपतिनाथ को रक्षाबंधन पर पहले अपने हाथ से बनाई हुई राखी बांधती हैं। उसके बाद अपने भाई को राखी बांधती हैं। मंदसौर की रहने वाली निर्मला गुप्ता राजस्थान के प्रतापगढ़ से वर्ष 1972 में शादी कर यहां आई थीं।

वह पहले भगवान पशुपतिनाथ को राखी बांधती हैं। उसके बाद ही अपने भाई को राखी बांधतीं हैं। यह सिलसिला करीब 49 वर्षों से चलता आ रहा है। शुरुआत में निर्मला रेडीमेड राखी बांधती थीं, पर पिछले 10 सालों से वह हाथों से 11 फीट लंबी राखी तैयार कर रही हैं।

इसके लिए वह एक महीने पहले से तैयारी करना शुरू कर देती हैं। रक्षाबंधन पर पूरा परिवार निर्मला के साथ भगवान पशुपतिनाथ मंदिर राखी बांधने जाता है। मंदिर में आए भक्त भी राखी बांधने में सहायता करते हैं।

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