कलेक्टर ने कॉरीडोर निर्माण के लिए 31 दिसंबर की डेड लाइन तय की
उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में बनाए जा रहे कॉरीडोर का काम 31 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। नए साल में महाकालेश्वर मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालु नए कॉरीडोर से होकर ही ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने पहुंचेंगे। कलेक्टर आशीष सिंह ने कॉरीडोर बनाने वाली कंपनी के अधिकारियों के लिए 31 दिसंबर डेड लाइन तय की है।
शुक्रवार को कलेक्टर आशीष सिंह ने महाकाल कॉरीडोर के काम में लगी कंपनी और स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठकर निर्माण कार्यो की समीक्षा की। रूद्रसागर क्षेत्र में त्रिवेणी संग्रहालय से फेसिलिटी सेंटर तक बनाए जा रहे कॉरीडोर में म्यूरल वॉल, पेंटिंग्स, मूर्तियां, फव्वारे लगाए जा रहे है। इसी बैठक में कलेक्टर ने त्रिवेणी संग्रहालय से चारधाम मंदिर के बीच बनने वाले मार्ग के प्रोजेक्ट पर भी चर्चा की।
कलेक्टर ने कहा है कि 7 सितंबर को महाकालेश्वर की अंतिम सवारी निकलेगी, इसके तत्काल बाद इस मार्ग का निर्माण शुरू हो जाना चाहिए। उन्होंने हरिफाटक ओवर ब्रिज की भुजाओं के चौड़ीकरण के लिए रेलवे के अधिकारियों से भी रायशुमारी करने को कहा है। कलेक्टर ने त्रिवेणी संग्रहालय के पास बनाए जा रहे सरफेस पार्किंग और फेसेलिटी सेंटर-2 के निर्माण को भी 31 दिसंबर तक हर हाल में पूरा करने को कहा है।
इस बैठक में महाकालेश्वर मंदिर समिति प्रशासक नरेंद्र सूर्यवंशी, नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल, स्मार्ट सिटी सीईओ जितेंद्र सिंह चौहान, विकास प्राधिकरण सीईओ सोजानसिंह रावत सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
साइड पर लगेंगे टाइमर
महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र के अलावा सिद्धवट, कालभैरव और मंगलनाथ मंदिर पर भी स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा विभिन्न विकास कार्य करवाए जा रहे है। कलेक्टर ने इन सभी साईड पर टाईमर लगवाने के निर्देश दिए है। निर्माण कब शुरू हुआ और कब तक पूर्ण होगा इसकी जानकारी टाईमर पर दर्ज होगी।
एक नजर महाकाल कॉरीडोर पर
- महाकालेश्वर मंदिर के संपूर्ण क्षेत्र में स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा लगभग 700 करोड़ रूपए के विकास कार्य करवाए जा रहे है। कुछ निर्माणकार्य प्रगति पर है, कुछ शुरू होने वाले है।
- महाकालेश्वर-रूद्रसागर विकास परियोजना का पहला चरण सितंबर 2021 तक और दूसरा चरण अगस्त 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य तय था। पहले चरण के काम कोविड की वजह से लेट हो गए है, अब इन्हें दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है।
- महाकाल कॉरीडोर भी पहले चरण के कामों में शामिल है, इस कॉरीडोर में लगभग 45 करोड़ रूपए की लागत से 108 पत्थर के पिल्लर और 200 मूतियां व फव्वारें लगाए जा रहे है।
- सभी मूर्तियां भगवान शिव से जुड़ी कहानियों पर आधारित है।
- महाकालेश्वर मंदिर-रूद्रसागर विकास परियोजना के पूरा होने के बाद महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र भी 2.82 हेक्टेयर से 10 गुना बढक़र 23.5 हेक्टेयर क्षेत्र का हो जाएगा।