नगर निगम में अफसरों के झगड़े चरम सीमा पर है। आयुक्त-अपर आयुक्त तक खेमेबाजी में बंटा नगर निगम निगम का प्रशासन शहर की तासीर के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता। एकदूसरे की टांग खींचने में लगे अफसर यहां बैठकर सिर्फ इसी ताक में रहते हैं कि कब किसे निबटाया जाये। एक दूसरे के कामकाज में दखलंदाजी, चहेतों के जरिये शिकायतें करवाना और मीडिया में छाये रहने के लिए झूठे-सच्चे दस्तावेजों के माध्यम से दूसरे की छबि खराब करना अफसरों की आदत में आ गया है।
इसी का परिणाम यह रहा कि निगम के एक अपर आयुक्त मंगलवार को निलंबित हो गये। अधिकारी स्तर पर बनी गुटबाजी का असर निचले स्तर के कर्मचारियों पर साफ-साफ दिखाई दे रहा है। होशियार कर्मचारी तो सभी को साध रहे हैं, लेकिन अफसर की छाप लेकर घूम रहे अधिकारी राजनीति का शिकार हो रहे हैं।
अफसर स्तर पर चल रही खेमेबाजी शहर के लिए भी खतरनाक है। कई जरूरी काम इससे प्रभावित हो रहे हैं। जैसे सफाई, पॉलीथिन मुक्त अभियान, आवारा पशु मुक्ति अभियान, टैक्स वसूूली आदि कई महत्वपूर्ण काम ऐसे हैं, जिनकी कहीं, कोई मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही है। सब कुछ रामभरोसे या जनसंपर्क विभाग के प्रेसनोट के सहारे चल रहा है। हकीकत में देखने वाला कोई नहीं है।