सरकारी अस्पतालों में इंतजाम नहीं, कोर्ट ने हस्तलिखित एमएलसी रिपोर्ट प्रतिबंध की

Ujjain District Hospital
  • उज्जैन में 15 दिन से कोर्ट में चालान पेश नहीं होने से पुलिस परेशान
  • सिविल सर्जन बोले – कंप्यूटर न स्टॉफ, कैसे बनाएं रिपोर्ट

उज्जैन,अग्निपथ (ललित जैन)। जिले की कोर्ट में हस्तलिखित एमएलसी (मेडिको लीगल रिपोर्ट) पर चालान मंजूर करना बंद कर दिया है। कोर्ट द्वारा टाईप की एमएलसी व पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर ही चालान मंजूरी के आदेश के कारण 15 दिन से चालान पेश नहीं होने से पुलिस के पास लंबित प्रकरणों का अंबार लगते जा रहा है। वहीं सरकारी अस्पताल ने स्टॉफ व संसाधन नहीं होने का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिए हैं।

हाईकोर्ट ने करीब दो साल पहले टाईप की एमएलसी रिपोर्ट पर चालान मंजूरी के आदेश दिए थे, लेकिन पुराने तरीका चलने पर सरकारी अस्पताल के डाक्टर हस्तलिखित रिपोर्ट दे रहे है। पुलिस भी वही लगाकर चालान पेश कर रही थी। किंतु 10 अगस्त को जिले मुख्य न्यायाधीश ने सभी कोर्ट को एमएलसी व पीएम रिपोर्ट टाईप नहीं होने पर चालान वापस करने के आदेश दे दिए। उन्होंने जिला अस्पताल व एसपी को भी आदेश भेज दिया।

computerised MLC Order
कोर्ट से जारी आदेश की प्रति

आदेश के चलते जिले की सभी कोर्ट ने हस्तलिखित एमएलसी रिपोर्ट पर चालान मंजूर करना बंद कर दिया। नतीजतन पुलिस ने सिविल सर्जन पीएन वर्मा से टाइप की रिपोर्ट का कहा, लेकिन उन्होंने स्टॉप व कंप्यूटर नहीं होने का हवाला देकर असमर्थता जताकर मुख्य न्यायाधीश को भी अवगत करा दिया।

यह है आदेश की वजह

डाक्टर्स द्वारा दी गई एमएलसी और पीएम रिपोर्ट समझ से परे रहती है। रिपोर्ट बनाने वाला डाक्टर ही उसे पड़ सकता है। ऐसे में डाक्टर के तबादला होने पर सुनवाई नहीं हो पाती है। इसी को देखते हुए कोर्ट ने टाईप या कंप्यूटराईज्ड रिपोर्ट पर ही चालान पेश करने के निर्देश दिए है।

यह हो रहा नुकसान

सरकारी अस्पतालों में रोजमर्रा के लिए ही कंप्यूटर है और स्टॉफ नहीं है। इसलिए वह टाईप की रिपोर्ट नहीं दे सकते हंै। ऐसी स्थिति में प्रत्येक थाने से प्रतिदिन पेश किए जाने वाले 7-8 चालान लंबित होने के कारण पेडेंसी बढ़ती जा रही है। नतीजतन केस तो प्रभावित होंगे ही जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को भी जवाब देना पड़ेगा।

सिविल सर्जन ने भोपाल भेजा पत्र

सिविल सर्जन पीएन वर्मा ने बताया कि रोजमर्रा के काम के लिए कंप्यूटर व स्टॉफ नहीं होने पर मुख्यालय को पत्र लिखते आ रहे हंै। कोर्ट का पत्र मिलने पर फिर डिमांड लेटर भोपाल भेजा है। न्यायाधीश को संसाधन नहीं होने से अवगत करा दिया है। व्यवस्था होने तक डाक्टर्स को साफ शब्दों में रिपोर्ट देने का कहा है।

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