शहर में सूदखोर फिर सिर उठाने लगे हैं। सूदखोरों से परेशान विवेकानंद कॉलोनी के एक दूध-किराना व्यापारी ने जान दे दी। कोरोना काल में पिछले दो साल में दो बार लगे लंबे लॉकडाउन के कारण हर आम आदमी आर्थिक तंगी का शिकार है। छोटे-मोटे ऐसे कई व्यापारी जिन्होंने उधारी पर अपना धंधा शुरू किया है, उनमें से कई तो बुरी हालत में है। ऐन सीजन के वक्त कोरोना आ धमका, धंधा-पानी ठप हो गया, बचत इलाज में खप गई।
ऐसे मेें उधार चुकाएं, ब्याज चुकाएं कि परिवार का भरण-पोषण करें। किश्ते बकाया होने पर न सिर्फ सूदखोर बल्कि निजी बैंकों के वसूलीकर्ता भी न सिर्फ जुर्माना वसूल रहे हैं बल्कि गुंडे-बदमाशों के माफिक घर पहुंचकर अभद्रपूर्ण व्यवहार कर रहे हैं। पिछले साल भी लॉकडाउन के बाद कई लोगों ने सूदखोरों से परेशान होकर अपनी जीवन लीला समाप्त की थी।
उस वक्त तो प्रशासन ने सूदखोरों के खिलाफ अभियान चलाकर मौतों का सिलसिला रोक दिया था। उस वक्त पुलिस व प्रशासन ने एक विशेष टीम ही सूदखोरों के खिलाफ बना दी थी और हर प्रताडि़त के मात्र एक आवेदन पर कार्रवाई शुरू कर दी जाती थी।
सुखद नतीजा यह रहा कि लोगों ने राहत की सांस ली और अपना बकाया भी चुकाया। लेकिन इस बार पुलिस-प्रशासन के चुप रहने से सूदखोरों ने एक बार फिर सिर उठा लिया है। बचाइये सरकार।