कोर्ट में प्रकरण होने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई पर अड़े
उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में उर्दू स्कूल के सामने वाले जिस भू-भाग को राजस्व अधिकारियों ने अतिक्रमण बताया है, वहां काबिज 13 मकान वालों को शनिवार को महाकाल थाने पर तलब किया गया। यहां एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी और तहसीलदार अभिषेक शर्मा ने चेताया कि रविवार शाम तक मकान खाली कर दो। सोमवार को हमारी टीम मकान तोडऩे आएगी।
उर्दू स्कूल के सामने सर्वे नंबर 2252/1 और 2252/2 की जमीन जमीन को राजस्व अधिकारी स्कूल फील्ड की जमीन बता रहे हैं वहां पिछले 40 से 50 सालों से 13 मकान बने हुए हैं। इससे पहले कभी इन मकान मालिकों को यह नहीं बताया गया कि उनके मकान सरकारी जमीन पर बने हैं। नगर निगम ने यहां बकायदा नामांतरण किया, भवन निर्माण के नक्शे स्वीकृत किए, नल कनेक्शन दिए और संपत्तिकर भी वसूलते रहे।
इन मकानों के मालिकों के पास अपनी रजिस्ट्रियां हंै। खास बात यह है कि सभी मकान मालिकों की रजिस्ट्री में सर्वे नंबर 2252/1 और 2252/2 सर्वे नंबर कहीं जिक्र ही नहीं है। अधिकांश रजिस्ट्रियों में सर्वे नंबर 2253/1/2 नंबर डला हुआ है। यहां निवास करने वाले परिवारों का तर्क है कि प्रशासन की टीम पहले सर्वे नंबर की भौतिक स्थिति साफ करे, सीमांकन की जांच करे।
कोर्ट में विचाराधीन हे मामला
तहसीलदार अभिषेक शर्मा के न्यायालय से जारी बेदखली आदेश के विरुद्ध सभी 13 मकानों के मालिकों ने एडीजे कोर्ट में अपील की हुई है। एडीजे न्यायालय में यह प्रकरण विचाराधीन है और इस पर चार बार सुनवाई भी हो चुकी है। एडीजे न्यायालय ने मामले में सीमांकन आवेदन के लिए 7 सितंबर और स्थगन की बहस के लिए 9 सितंबर की तारीख तय की हुई है। जिला प्रशासन के अधिकारी इससे पहले ही मकानों को किसी तरह ध्वस्त करने के प्रयास में है।
थाने में हुई जमकर बहस
शनिवार को सभी 13 मकानों के मालिकों को महाकाल थाने में बुलाकर जब उन्हें मकान खाली करने की चेतावनी दी गई, इस दौरान काफी बहस हुई। एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी और तहसीलदार अभिषेक शर्मा राजस्व फैसले पर अड़े रहे जबकि रहवासी उन्हें बताते रहे कि आपके द्वारा दिया गया नोटिस ही त्रुटिपूर्ण है। रहवासियों का तर्क है कि आपने नोटिस में जिस सर्वे नंबर का उल्लेख किया है, उस पर हम काबिज ही नहीं है। एएसपी शहर अमरेंद्र सिंह ने मामले को संभालने की कोशिश की। उन्होंने मकान मालिकों से कहा कि आपका प्रकरण न्यायालय में है, उसके अनुरूप ही कार्रवाई होगी।
इनका कहना
प्रशासन के अधिकारी हमारे तर्कों और दस्तावेजों को देखने को ही तैयार नहीं है। न्यायालय से निर्णय की आस है लेकिन उससे पहले ही हमें हमारे मकानों से बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में तो हमारे परिवार संकट में आ जायेंगे। -फरहान शेख, नीतेश जैन रहवासी
हमने अपने स्तर पर जमीन की जांच की, सभी निर्माण सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है। हमने विधिवत प्रक्रिया का पालन कर ही नोटिस दिए हैं। पूरी प्रक्रिया वैधानिक तरीके से ही आगे बढ़ रही है। -अभिषेक शर्मा, तहसीलदार