दौड़…
अपने असरदार जी को हमारे पाठक भूले तो नहीं होंगे। लंबे समय बाद हम उनको याद कर रहे हैं। हालांकि, अपने असरदार जी खुद काफी समय से गायब हंै। मगर अब वह एक कुर्सी की दौड़ में लग गये हैं। उनकी निगाहे भरतपुरी क्षेत्र के उस भवन की कुर्सी पर है। जहां से पूरे शहर के विकास का दावा किया जाता है। इस कुर्सी पर अपने विकास पुरुष भी बैठ चुके हंै। अब असरदार जी इसकी दौड़ में है। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे हंै। देखना यह है कि…इंदौरी मंत्री का याराना, उनको दौड़ जितवा पाता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
भूमिका…
विकास पुरुष के करीबी युवा नेता अब एक नई भूमिका में नजर आ रहे हैं। अभी तक वह पर्दे के पीछे अपनी भूमिका निभाते थे। उच्च शिक्षित हंै। इसलिए उनको चक्रम का सदस्य, विकास पुरुष ने बनवा दिया है। यही युवा नेता अब उद्योगपति की भूमिका में नजर आने वाले हैं। पिछले दिनों बैठक में उनकी मौजूदगी यही इशारा कर रही है। जिसको लेकर कमलप्रेमी चटकारे ले रहे हंै। देखना यह है कि चक्रम के नये उद्योगपति, आगे क्या-क्या भूमिका निभाते हैं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
इतिहास…
अपने उम्मीद जी को वह काम करने में ज्यादा मजा आता है। जिसमें पंगा हो और इतिहास में नाम भी दर्ज हो। मगर उनके हर ऐसे काम का मकसद, जनहित और शासनहित में होता है। इसीलिए बगैर किसी दबाव में आकर काम का बीड़ा उठा लेते हंै। पहले बीपीएल वालों की फाइल निपटाई। अब उनकी निगाहे सीलिंग वाली जमीनों पर है। शहरी क्षेत्र में करीब 250 हेक्टेयर सीलिंग की जमीन है। जिस पर वर्षों से कब्जाधारी अपना हित साध रहे हंै। अब इनको हटाने व जमीन मुक्त कराने का बीड़ा, अपने उम्मीद जी ने उठाया है। सारी तैयारियां हो गई हैं। देखना यह है कि अपने उम्मीद जी, इस बार इतिहास बनाते हंै या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
दुश्मन…
अपने कप्तान का आखिर, ऐसा कौन दुश्मन है। जो हर बार उनके तबादले की खबर को उड़ा देता है। जैसे पिछले दिनों फिर तबादले की खबर उड़ गई। सोशल मीडिया पर। कप्तान का तबादला पक्का। उनकी जगह रतलाम वाले कप्तान का आना तय। इस अफवाह के बाद, वर्दी वालों के फोन शुरू हो गये। मगर, अपने कप्तान बेफ्रिक रहे। उन्होंने महाकाल की मर्जी पर सब छोड़ दिया है और चुप हंै। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।
दादागिरी…
अगर किसी कार्यकर्ता को 2 वरिष्ठ कमलप्रेमी नेता का संरक्षण हो। फिर वह तो दादागिरी करेगा ही। आखिर डबल-पॉवर उसके पास है। एक वजनदार जी का तो दूसरा अपने विकास पुरुष का। तभी तो फटाखा लायसेंस को लेकर कार्यकर्ता ने दादागिरी दिखा दी। अपने नरों में इंद्र के कार्यालय जाकर। खूब हंगामा किया। आखिरकार नरों में इंद्र ने हस्तक्षेप किया। तब कहीं जाकर मामला निपटा। उसके बाद सभी चुप हैं। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
गैंग…
शहर में इन दिनों एक गैंग सक्रिय है। जिसका काम शहर के प्रतिष्ठित लोगों को फंसाना है। किसी भी तरीके से। इसीलिए गैंग में लड़कियां भी शामिल हैं। जो अपनी मासूम अदाओं से व्यापारी वर्ग को फंसा लेती है। फिर घर बुलाकर फोटो खींच लेती है। इसके बाद यह गैंग, खुलकर सौदा करती है। इज्जत के डर से सभी चुप रह जाते हैं और डिमांड पूरी कर देते हैं। पहली बार एक व्यापारी ने आवाज उठाई है। नतीजा, गैंग की एक सदस्य इन दिनों श्रीकृष्ण की जन्मस्थली की मेहमान है। ताज्जुब की बात यह है कि इस गैंग की खबर वर्दी को भी है। मगर वह सख्ती और बारीकी से जांच नहीं कर रही है। अगर जांच हुई तो कई और मामले सामने आ सकते हैं। देखना यह है कि इस गैंग को पकडऩे में अपने कप्तान कितनी रूचि दिखाते हैं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
समझौता…
आखिरकार लंबे समय से, जिस समझौते का इंतजार था। वह पिछले दिनों हो गया। समझौते में 28 पेटी का भुगतान किया गया। भुगतान करने वाले कमलप्रेमी बिल्डर नेताजी है। जिन्होंने पारिवारिक मामले में, स्वजातीय होने का फायदा उठाकर, समझौता करवा दिया। इस समझौते के तार अपने बदबू वाले शहर से जुड़े हंै। जिसको लेकर लंबे समय से एक माननीय परेशान थे। बिल्डर कमलप्रेमी नेताजी ने समझौता करवाकर, अपना मिशन 2023 का रास्ता साफ कर लिया है। ऐसा कमलप्र्रेमी बोल रहे हंै। बहरहाल हम तो समझौते की बधाई देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
गुहार…
वैसे तो बाबा महाकाल की कृपा, पंडे-पुजारियों पर भरपूर है। मान-सम्मान और धन-धान्य भी खूब मिल रहा है। मगर इसके बाद भी जब बात सरकारी खजाने में 100- 200 रुपये जमा कराने की आई। तो बैठक में मौजूद अपने मीठी-गोली जी ने गुहार लगा दी। अपने उम्मीद जी से। गुहार यह थी कि…100-200 रुपये से मुक्त रखा जाये। पंडे-पुजारियों को। जबकि यजमानों से अच्छी खासी दक्षिणा मिलती है। अपने उम्मीद जी ने 2 टूक साफ मना कर दिया। नियम सबके लिए समान। जिसके बाद अपने मीठी गोली जी चुप है। तो हम भी चुप हो जाते हंै।
परीक्षा…
तो आखिरकार बाबा की सेवा का फल, अपने नरों में इंद्र को मिल ही गया। इसके लिए हमारी तरफ से भी शुभकामनाएं। छोटा ही सही, मगर जिले के मुखिया बन गये। यह सपना वह जागती व बंद आंखों से लगातार देख रहे थे। बाबा ने उनका सपना पूरा कर दिया। लेकिन भविष्य के लिए परीक्षा भी रख दी। उपचुनाव के रूप में। इस परीक्षा में पास होना नरों में इंद्र के लिए जरूरी है। अब देखना यह है कि राजा राम जी लला, उनकी कितनी मदद करते हैं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
दस्तक…
कभी-कभी किस्मत खुद दरवाजे पर दस्तक देती है। जैसे इन दिनों अपने लिटिल मास्टर के दरवाजे पर दे रही है। बाबा महाकाल की सेवा करने का। बाबा के दरबार में कानाफंूसी चल रही है। एक बार फिर अपने लिटिल मास्टर की वापसी हो सकती है। प्रशासक के रूप में। अगर बाबा की मेहरबानी और उम्मीद जी की कृपा रही तो जल्दी ही आर्डर निकल सकता है। देखना यह है कि बाबा मेहरबान होकर, तीसरी दफा सेवा का मौका देते है या नहीं। तब तक अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।