भोपाल। मध्य प्रदेश में वायरल फीवर, डायरिया, निमोनिया, डेंगू अब डराने लगे हैं। इन बीमारियों की चपेट में हजारों बच्चे आ गए हैं। बीमार बच्चों की लगातार बढ़ती संख्या से अस्पतालों की व्यवस्थाएं कम पड़ गई हैं। ग्वालियर में एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को भर्ती किया गया है। भोपाल-जबलपुर में दो-दो बच्चे एक बेड पर इलाज ले रहे हैं। इंदौर में भी बच्चों के सभी अस्पताल फुल हो गए हैं। रतलाम में बेड फुल होने की वजह से जमीन पर लिटाकर इलाज करना पड़ रहा है।
वायरल ने कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है। बड़े शहरों से लेकर छोटे जिलों में बच्चों के लिए अलग से वार्ड और बेड बढ़ाने के लिए दावे किए गए थे, लेकिन हकीकत में इससे जुदा है। कई जगहों पर नए वार्ड और बेड तैयार ही नहीं हुए हैं।
ग्वालियर: 1200 से ज्यादा बच्चे अभी तक चपेट में आ चुके हैं
इन दिनों वायरल जनित बीमारियां अपना असर दिखा रही हैं। इनसे बच्चे भी अछूते नहीं हैं। कमलाराजा अस्पताल (केआरएच) के पीडियाट्रिक वार्ड में क्षमता (170) से अधिक बच्चे भर्ती होने से एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज भी करना पड़ रहा है। बुधवार को जयारोग्य चिकित्सालय ( JAH) की ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे लोगों की संख्या लगातार तीसरे दिन तीन हजार के पार रही। इनमें 180 बच्चे शामिल हैं।
भारतीय बाल अकादमी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सीपी बंसल का कहना है कि शहर में एक हजार से अधिक बच्चे बीमार हैं। इनमें से 70 से 80% वायरल की चपेट में हैं। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक अग्रवाल ने बताया कि उनके यहां ओपीडी में आने वाले बीमार बच्चों में करीब 15% ऐसे हैं] जिन्हें तेज बुखार के साथ झटके आने की शिकायत है। GRMC के बाल रोग विभाग के प्रो. डॉ. घनश्यामदास का कहना है कि वायरल के नेचर में बदलाव आया है। इसमें तेज बुखार के साथ तेज दर्द और कमजोरी आ रही है। बुखार में बच्चे को गर्म कपड़े न ओढ़ाएं, बल्कि पानी से उसका बदन अच्छी तरह से पोछ दें।
भोपाल: इमजरेंसी ट्रीटमेंट यूनिट में एक बेड पर दो-दो बच्चों
सीजनल फ्लू, डायरिया, निमोनिया से पीड़ित बच्चों ने राजधानी भोपाल में कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर बच्चों के नए वार्ड की तैयारी की पोल खोल दी है। सीजनल फ्लू और डेंगू के मरीज बढ़ने से हमीदिया और जयप्रकाश अस्पताल में 80% से ज्यादा बेड फुल हैं। खास बात यह है कि प्रतिदिन पीड़ित बच्चे बढ़ते जा रहे हैं। इसके बाद भी दोनों ही अस्पतालों में अगस्त की शुरुआत में बनकर तैयार होने वाले बच्चों के नए वार्ड की तैयारी अधूरी है। हमीदिया अस्पताल में पीडियाट्रिक्ट विभाग में 200 बेड के वार्ड में करीब 160 बच्चे भर्ती हैं। हालात यह है कि यहां इमजरेंसी ट्रीटमेंट यूनिट में एक बेड पर दो-दो बच्चों को रखा जा रहा है। हमीदिया अस्पताल में 80 बेड का वार्ड तैयार किया जा रहा है। इसमें 30 बेड का आईसीयू और 50 ऑक्सीजन बेड हैं। यह वार्ड अगस्त में तैयार होना थे, लेकिन अब तक बिल्डिंग ही बन पाई है।
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बिल्डिंग हैंडओवर होने के 15 से 20 दिन बाद वार्ड तैयार होगा। हमीदिया के पीडियाट्रिक विभाग की एचओडी डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव का कहना है कि हमारे यहां दूरदराज से मरीज आते हैं। गंभीर स्थिति में आवश्यकता होने पर कभी कभार एक बेड पर दो को रखा जाता है। हम उनको दूसरी जगह रैफर नहीं कर सकते। वहीं, जिला जयप्रकाश अस्पताल में अभी 60 बेड हैं। इसमें 20 बेड का SNCU हैं। यहां सिर्फ 12 बेड खाली हैं। इसमें सिर्फ 1 SNCU का बेड है। अस्पताल में 20 बेड का SNCU बनना है। इसकी तैयारी भी अधूरी है। अभी वार्ड में फिनिशिंग का काम भी पूरा नहीं हुआ है। इसके बाद बेड और उपकरण की खरीदी भी प्रक्रिया बाकी है।
इंदौर: वायरल की चपेट में आए बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही
डेंगू और वायरल फीवर को लेकर इंदौर में लगातार बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है बात की जाए सरकारी अस्पताल चाचा नेहरू की तो यहां पर 100 बिस्तरों का अस्पताल पूरी तरह से भर चुका है। 100 बेड पर बच्चे भर्ती हैं। ओपीडी में भी लगाकर बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। ओपीडी में आने वाले मरीजों में 60 फीसदी बच्चे वायरल की चपेट में होते हैं।
चाचा नेहरू अस्पताल के अधीक्षक डॉ. हेमंत जैन का कहना है कि रोजाना 8 से 10 मरीज डिस्चार्ज भी किए जा रहे हैं, लेकिन वायरल की चपेट में आने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। निजी अस्पतालों की बात की जाए तो वहां पर भी 100% अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या फुल है। वहीं बच्चों में वायरल और डेंगू के लक्षण अधिक पाए जा रहे हैं।
जबलपुर: वायरल, डेंगू की चपेट में 600 से ज्यादा बच्चे
जबलपुर में विक्टोरिया जिला अस्पताल में 40 बेड का बच्चों का वार्ड है। पर 24 बेड पर 48 बच्चे डेंगू के भर्ती मिले। एक-एक बेड पर दो-दो बच्चे लिटाए गए हैं। वहीं वायरल फीवर के 16 बेड पर 22 बच्चे मिले। मेडिकल कॉलेज में 150 बेड के बच्चों का वार्ड पूरा फुल है। इसी तरह शहर के 10 निजी बच्चों के अस्पताल में 600 से अधिक बच्चे डेंगू और वायरल फीवर के भर्ती हैं। आलम ये है कि बीमार हो रहे बच्चों के लिए अस्पतालों में वेटिंग चालू हो गई है। लोगो को एक से दो दिन के इंतजार के बाद अस्पतालों में जगह मिल पा रही है। जिले में सरकारी आंकड़ों में डेंगू के 355 मरीज हैं, लेकिन वास्तविक संख्या 3500 के ऊपर पहुंच गया है। इसमें लगभग 1000 संख्या बच्चों की है।
रतलाम: जमीन पर लिटाकर इलाज
रतलाम जिले में भी डेंगू और वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बाल चिकित्सालय एमसीएच और निजी अस्पतालों में भर्ती बच्चों की संख्या 100 से अधिक है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू और वायरल से पीड़ित बच्चों की संख्या की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन बाल चिकित्सालय और एमसीएच में बच्चों के लिए बनाए गए वार्ड फुल है। यहां तक कि एक बेड पर दो- दो बच्चों का उपचार किया जा रहा है। एमसीएच में बनाए गए बच्चों के वार्ड में जमीन पर लेटा कर भी बच्चों का उपचार किया जा रहा है।
उज्जैन:95 बच्चे भर्ती हैं
उज्जैन के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल चरक में करीब 95 बच्चे वायरल से पीड़ित होकर भर्ती हैं। इसमें 1 से लेकर 12 साल तक के बच्चे हैं। इन्हें सर्दी-जुकाम के साथ बुखार है। जबकि बुधवार को ही डेंगू में तीन बच्चों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। तीन ही बच्चों का ब्लड सैंपल और जांच के लिए भेजा है। पूरी आशंका है कि उन्हें भी डेंगू ही होगा, क्योंकि इनके लक्षण भी अन्य भर्ती डेंगू पीड़ित बच्चों की तरह ही हैं। यही स्थिति शहर के निजी अस्पतालों की है। यहां के प्रमुख बड़े अस्पतालों में औसतन 8 से 10 बच्चे भर्ती हैं। जिन्हें वायरल है। निजी अस्पतालों में कुछ बच्चों को कोविड परीक्षण भी कराया गया है। लेकिन किसी को भी कोविड नहीं निकला। निजी अस्पतालों में भी डेंगू के कुछ बच्चे भर्ती हो सकते हैं, लेकिन वे संख्या बताने को तैयार नहीं है।
ये बरतें सावधानी
– बच्चों को ठंडा पानी और आइसक्रीम खाने को न दें।
– ताजा बना हुआ भोजन कराएं।
– तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन कराएं।
-खांसी होने पर गुनगुना पानी सिप कर करके बच्चों को पिलाएं।
– एसी में रहने के बाद एकदम बच्चों को बाहर नहीं जाने दें।
सवाल: तीसरी लहर के लिए कितने तैयार हम
– प्रदेश के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर सहित अन्य शहरों में कोरोना की तीसरी संभावित लहर जो बच्चों के लिए घातक मानी जा रही है उसकी तैयारियों को सरकार दावा कर रही है, लेकिन सिर्फ वायरल ने ही सरकारी इंतजामों की पोल खोल दी है। वायरल में यह हाल है कि बच्चों के आईसीयू में बेड नहीं हैं। भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर में एक-एक बेड पर 2 तो कहीं 3-3 बच्चों का इलाज करना पड़ रहा है। जो अस्पताल या पीआईसीयू बनकर तैयार होने थे वह अभी तक तैयार नहीं हुए हैं। यदि वायरल से भी सरकार ने सीख नहीं ली तो आने वाले समय में हालात और भी खराब हो सकते हैं।