एलम खरीदी की नोटशीट में बदलाव की जांच पूरी: अपर आयुक्त पर एफआईआर के लिए मांगी कानूनी सलाह

नगर निगम

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के निलंबित अपर आयुक्त आर.पी. मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। टेंडर नोटशीट में हेरफेर की एक शिकायत के बाद कलेक्टर के निर्देश पर हुई जांच में उन्हें दोषी पाया गया है। जांच से यह साफ हो गया है कि मिश्रा ने टेंडर फाइल की नोटशीट पर जानबूझकर बदलाव किया था। कलेक्टर कार्यालय से जांच रिपोर्ट सरकारी वकील के पास कानूनी सलाह के लिए भेजी गई है। इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो सकती है।

अपर आयुक्त आर.पी. मिश्रा से जुड़ा यह मामला, सितंबर 2020 का है। अपर आयुक्त मिश्रा के पास तब पीएचई का प्रभार था। 24 सितंबर 2020 को उन्होंने गंभीर, गऊघाट, उंडासा और साहिबखेड़ी जल यंत्रालय के लिए एलम खरीदी के टेंडर बुलाए थे। टेंडर की नोटशीट में अपर आयुक्त मिश्रा ने ही शाजापुर की फर्म भारत एलम की दर को स्वीकृत किया। इस टेंडर नोटशीट को 14 जनवरी 2021 को पीएचई के तब के कार्यपालन यंत्री अतुल तिवारी ने पोर्टल पर अपलोड किया। वर्क आर्डर जारी हुए, एलम सप्लाय भी हो गया लेकिन जब बिल की बारी आई तो इन्हीं आर.पी. मिश्रा ने निविदा नोटशीट पर लिख दिया कि निविदा अवधि नियमत: नहीं है।

इस प्रकरण में पोर्टल पर अपलोड नोटशीट में मिश्रा टेंडर को सही बताते रहे और फिजिकल नोटशीट में उन्होंने इसी टेंडर को गलत बता दिया। ऐसा बिल भुगतान रोकने की नियत से किया गया था। भारत एलम के ठेकेदार की शिकायत पर कलेक्टर आशीषसिंह ने डिप्टी कलेक्टर कल्याणी पांडे को मामले की जांच सौंपी थी। इस जांच में आर.पी. मिश्रा द्वारा फाइल में हेरफेर करना साबित हो गया है।

कलेक्टर आशीषसिंह ने बताया कि जांच रिपोर्ट को नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल को भेजा गया है ताकि प्रकरण की विभागीय जांच शुरू की जा सके। इसके अलावा मामले में सरकारी वकील से भी राय मांगी गई है। सरकारी वकील का अभिमत आने के बाद निलंबित अपर आयुक्त आर.पी. मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है।

भुगतान तो हुआ ही नहीं

कागजों में हेरफेर वाले प्रकरण में सीधे एफआईआर दर्ज करवाना टेढ़ी खीर है। दरअसल, इस प्रकरण में नगर निगम से एलम ठेकेदार को किसी तरह का भुगतान नहीं हुआ है। नगर निगम को फिलहाल किसी तरह की आर्थिक क्षति नहीं हुई है। भुगतान जान बूझकर रोका गया या नोटशीट पर टीप डालने की कोई खास वजह थी, केस दर्ज करवाने पर यह साबित करना मुश्किल है। नोटशीट में बदलाव टेंडर समिति के सदस्यों की सहमति से हुआ या मिश्रा ने खुद अपने मन से बिल भुगतान रोका यह भी टेंडर समिति के सदस्यों के बयानों के बाद ही साफ हो सकेगा।

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