अब भोपाल से तय होगा कौन बनेगा महाकाल मंदिर प्रशासक

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर का नया प्रशासक कौन होगा? अभी तक तो इसका फैसला कलेक्टर ही करते थे। मगर अब पहली दफा, प्रशासक का फैसला राजधानी से तय होगा। इसकी वजह संघ का दखल है। जिसने प्रशासक पद को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। तभी तो मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। नतीजा … फिलहाल सहायक प्रशासक को ही काम देखने के निर्देश दिये हैं।

महाकाल मंदिर के पुराने प्रशासक नरेन्द्र सूर्यवंशी को गये आज पूरा 1 हफ्ता होने जा रहा है। पिछले मंगलवार को कलेक्टर आशीषसिंह ने उनको कार्यमुक्त कर दिया था। तभी से आज तक मंदिर प्रशासक का पद खाली है। हालांकि कलेक्टर के मौखिक निर्देश पर, उविप्रा सीईओ सोजानसिंह रावत काम देख रहे हैं। लेकिन अभी तक उनके नाम का आर्डर, कलेक्टर कार्यालय से नहीं निकला है।

सहायक …
मंदिर के हमारे भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि प्रशासक का पद खाली होते ही नोटशीट भी चली थी। कलेक्टर तक यह नोटशीट पहुंची। मगर किसी के भी नाम पर मोहर नहीं लग पाई। उल्टा नोटशीट पर यह लिख दिया गया कि … आगामी आदेश तक सहायक प्रशासक देखें। जिसके बाद नियुक्ति को लेकर मंदिर के गलियारों में यह चर्चा जोरो पर है कि … प्रशासक के पद पर संघ समर्थित विचारधारा वाले अधिकारी की ही नियुक्ति होगी। इसी कारण यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है।

निगाहे …
इधर हमारे सूत्रों का कहना है कि मंदिर प्रशासक पद के लिए, नगर निगम के वित्त अधिकारी गणेश धाकड़ की भी निगाहें लगी हुई हैं। उनको संघ का वरदहस्त भी है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। सूत्रों की माने तो इस दफा संघ अपने ही किसी व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त करके, प्रशासन का हस्तक्षेप खत्म करना चाहता है। तभी तो वित्त अधिकारी का नाम आगे बढ़ा दिया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि … मुख्यमंत्री ने भी इस नाम पर अपनी सहमति जता दी है। लेकिन यह सवाल आड़े आ रहा है कि … नगर निगम से तो वित्त अधिकारी का तबादला हो जायेगा, लेकिन मंदिर प्रशासक के रूप में, उनका वेतन आहरण कहां से होगा। इसी के चलते फिलहाल मामला खटाई में है।

नियम …
मप्र शासन का राजपत्र दिनांक 4 अप्रैल 1983 यह कहता है कि … मप्र शासन किसी भी ऐसे व्यक्ति को, जो हिन्दू धर्म को मानता हो, उसे मंदिर का प्रशासक नियुक्त कर सकता है और प्रशासक अपने पद के आधार पर समिति का सचिव होता है। इसी राजपत्र में यह भी लिखा है कि … अगर पूर्णकालिक प्रशासक की जरूरत नहीं हो तो, कलेक्टर किसी भी ऐसे अधिकारी को प्रशासक बना सकता है, जो कि तहसीलदार की श्रेणी से ऊपर का हो।

बहरहाल यह देखना रोचक होगा कि प्रशासक के पद पर पहली बार गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की नियुक्ति होती है या नहीं।

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