आखिर कब होगी अवैध शराब माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई

परेशान जनता को आज भी है ईमानदार अधिकारी का इंतजार

पेटलावद, अग्निपथ। आबकारी विभाग की मिलीभगत और पुलिस प्रशासन की अनदेखी के कारण नगर सहित ग्रामीण अंचल में इन दिनों अवैध शराब माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। जिनके द्वारा बेखौफ होकर अवैध रूप से शराब विक्रय कर दिन दुगनी और रात चौगुनी तरक्की की जा रही है तथा दूसरों के घरों को बर्बाद किया जा रहा है। अवैध शराब विक्रेता भी किसी के घर जाकर किसी को जबरन शराब नहीं पिला रहे हैं। लेकिन जगह -जगह हर समय उपलब्ध हो जाने वाली शराब को पीना कई युवा अपनी शान समझते हैं और कई शराबी होकर बर्बादी की और बढ़ रहे हंै।

शराब के कारण कई परिवार बर्बाद हो चुके हंै, तो कई लोग असमय मौत के मुंह में समा चुके हैं। शासन से हजारों रुपए महीना पगार पाने वाले आखिर क्यों अवैध शराब विक्रेताओं के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जिस प्रकार से नगर के मुख्य चौराहे और गांधी चौक में आबकारी कार्यालय और पुलिस थाने से कुछ ही दूरी पर अवैध शराब विक्रय हो रही है उसे देखकर तो यही लगता है कि जिम्मेदार प्रशासन अवैध शराब माफियओं को संरक्षण प्रदान कर रहा है। जिसके कारण ही आज नगर सहित गांव-गांव में अवैध शराब खुलेआम बिक रही है। यहां तक कि कई ढाबों पर भी खुलेआम अवैध रूप से शराब परोसी जा रही है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन अवैध शराब दुकानों तक वैध शराब दुकानों पर कार्यरत लोग अपने वाहनों से शराब पहुंचा रहे हैं। जिन्हें आसानी से आते-जाते देखा जा सकता है। जिसके बाद भी कार्रवाई नहीं होना आमजन कि समझ से परे है। लेकिन पब्लिक सब जानती है। जिम्मेदारों द्वारा कार्रवाई के नाम पर कभी कभार खाना पूर्ति जरूर की जाती है। यहां तक कि वैध शराब दुकानों का खुलने और बन्द करने का समय निर्धारित है। किन्तु अवैध शराब दुकानों से हर समय शराब मिल जाती है। आबकारी विभाग की मिलीभगत और पुलिस कि अनदेखी के कारण जगह-जगह बिकने वाली अवैध शराब के कारण दिनों दिन अपराधों का ग्राफ भी बढ़ रहा है।

देश भक्ति और जन सेवा की बात करने वाले जिम्मेदारों को आखिर ऐसा क्या हो गया है जो अवैध शराब माफियाओं के पर नहीं कतर पा रहे हैं। जो भी हो परेशान जनता को ईमानदार अधिकारी का आज भी इंतजार है। इस शराब के कारण कई परिवार उजड़ चुके हंै। जिस तरह से नगर सहित क्षेत्र में अवैध शराब विक्रय हो रही है उसे देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि दाल में कुछ तो काला है और आबकारी विभाग के जिम्मेदारों की मिलीभगत की वजह से सब कुछ खेला हो रहा है उसी आबकारी कार्यलय के ऊपर घास उग गई है।

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