वीडियो वायरल, शनिवार अलसुबह की भस्मारती में विवाद
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में बनाए गए नियम केवल आम लोगों पर ही लागू किए जा रहे हैं। रसूखदार लोग आज भी नियमों को धता बताकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। ऐसा ही एक वाकया गुरुवार शाम को हुआ। जब एक पंडित ने अपने यजमानों को कलेक्टर द्वारा प्रतिबंधित किए गए 13 नंबर गेट को खुलवा कर बाहर निकलवाया। वहीं शनिवार की अलसुबह की भस्मारती में जगह रोकने वाले पुजारियों के सेवकों के बैठने को लेकर श्रद्धालुओं से विवाद होने की बात सामने आई है।
महाकालेश्वर मंदिर का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें गुरुवार 16 सितम्बर की शाम 6 बजे के लगभग एक पंडित जोकि बनियान और धोती पहने हुए हैं, कोटितीर्थ कुंड से अपने आधा दर्जन यजमानों को महाकाल प्रवचन हॉल के 13 नंबर के चैनल गेट से बाहर निकालता हुआ दिखाई दे रहा है। बकायदा उसने चैनल गेट खुलवाया, जिसमें उनको समय तो लगा पर यजमानों को जरूर बाहर निकाल दिया।
हालांकि वीडियो दूर से लिया गया है, जिसमें पुजारी की छवि स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रही है। ज्ञात रहे कि 13 नंबर चैनल गेट से कलेक्टर आशीषसिंह ने किसी के भी प्रवेश और निकासी पर पाबंदी लगाई हुई है। ऐसे में इस गेट से पुजारी ने अपने यजमानों को बाहर निकालकर उनके द्वारा बनाए गए नियम को धत्ता बता दिया है।
केवल आम लोगों के लिए नियम
महाकालेश्वर मंदिर में नियमों की तोडऩे की परंपरा बनी हुई है। आम लोगों के लिए तो नियम बना दिए जाते हैं, लेकिन रसूखदार इसका पालन नहीं करते और न ही इन पर कोई कार्रवाई होती है। ऐसे में निरंकुश होकर इनके द्वारा नियम तोड़े जाते हैं। कलेक्टर हो अथवा कोई भी। आर्थिक लोभ के वशीभूत होकर इनके द्वारा इस प्रकार के कृत्य करना आम बात होती है। मंदिर के अधिकारी भी ऐसे रसूखदारों पर कार्रवाई करने से बचते हैं।
विवाद: भस्मारती में पुजारी सेवकों ने रोकी जगह
महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार की अलसुबह होने वाली भस्मारती में श्रद्धालुओं का विवाद बैठने को लेकर पुजारी के सेवकों से हो गया। बताया जाता है कि काफी समय से श्रद्धालु प्रवेश का इंतजार कर रहे थे और पहले आओ-पहले पाओ की तर्ज पर गणपति मंडपम में पहुंच गए थे। लेकिन यहां पर पहले से ही मौजूद पुजारी सेवकों ने अपने यजमानों के लिए जगह रोक रखी थी।
श्रद्धालुओं ने जब इसका विरोध किया तो विवाद हो गया। ज्ञातव्य रहे कि भस्मारती में कई पुजारियों के सेवक पहले से ही गणपति मंडपम में प्रवेश कर अपने यजमानों के लिए जगह रोक लेते हैं। जब दूसरे श्रद्धालु बैठने के लिए आते हैं तो उनका विवाद हो जाता है।