उज्जैन, अग्निपथ। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से महालय श्राद्ध का आरंभ होता है। हालांकि अश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या के पक्ष को विशेष रूप से माना जाता है। आज पहले दिन पूर्णिमा का श्राद्ध होगा। ऐसे जातक जिनकी मृत्यु पूर्णिमा के दिन हुई है। उनका श्राद्ध आज किया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि इस बार श्राद्ध पक्ष पूरे 16 दिन के हैं और 16 दिन के श्राद्ध पक्ष में विशेष प्रकार के योग संयोग बन रहे हैं जिसमें से 5 सर्वार्थ सिद्धि योग एवं एक अमृत गुरु पुष्य योग का संयोग बना है। साथ ही विशेष नक्षत्रों के साथ श्राद्ध पर्व की महत्ता भी बढी है। आज सजावट और गया कोठा पर अपने पितरों के निमित्त लोग दुग्ध और जलाभिषेक करेंगे।
धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार महालय श्राद्ध के दौरान गुरु के तारे का उदित रहना आवश्यक है। साथ ही पक्षकाल में भी तिथि खण्ड का दोष ना हो तो वह श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दृष्टि से इस बार श्राद्ध 16 दिन का पूर्ण पक्षकाल है। इस आधार पर यह एक विशिष्ट स्थिति भी बनाता है और चूंकि नक्षत्र का अनुक्रम भी पूर्णता लिए हुए हैं। जिसके कारण इसका प्रभाव बढ़ते क्रम से है।
अवंतिका तीर्थ विशेष रुप से पूजनीय
स्कंद पुराण के अवंती खंड में पितृ कर्म के लिए विशेष तौर पर सिद्धवट घाट, रामघाट, गया कोठा पर तीर्थ की मान्यता बताई जाती है। इसमें भी श्राद्ध पक्ष में गया कोठा का अलग महत्व है। हालांकि पितृ कर्म के लिए सिद्धवट घाट रामघाट इसलिए भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि सिद्धवट घाट पर प्रेतशिला तीर्थ व शक्ति भेद तीर्थ की मान्यता है। साथ ही सिद्धवट वृक्ष की साक्षी है। वहीं पर रामघाट पिशाच मोचन तीर्थ के नाम से विख्यात है।
साथ ही गया कोठा पर गुप्त फाल्गू का भी प्राकट्य हुआ। 16 श्राद्ध के पर्व काल के दौरान यहां की भी विशेष मान्यता है। इसलिए इन तीनों ही स्थानों का अपना-अपना विशेष महत्व अवंतिका नगरी में मान्य है जिसके चलते यहां पर पितृ कर्म करने का विशेष लाभ प्राप्त होता है।
किस तिथि को कौन सा श्राद्ध
- पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबर
- प्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबर
- द्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबर
- तृतीया श्राद्ध – 23 सितंबर
- चतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबर
- पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर
- षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर
- सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर
- अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर
- नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर
- दशमी श्राद्ध – 1 अक्टूबर
- एकादशी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
- द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर
- त्रयोदशी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
- चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्टूबर
- अमावस्या श्राद्ध- 6 अक्टूबर।