उज्जैन, अग्निपथ। लंबे समय बाद आखिरकार जनसुनवाई का श्रीगणेश हो गया। कलेक्टर भी नियत समय पर आ गये। उनका पहला फरियादी मांगूसिंह था। जो कि अपनी जिद और धुन का पक्का है। मगर जनसुनवाई के असली हकदार तब पहुंचे, जब कलेक्टर जा चुके थे। यह सभी ग्रामीण, वाकई जनसुनवाई के असली हकदार हैं।
कलेक्टर आशीषसिंह एक बार फिर लंबे समय बाद, जनसुनवाई शुरू होते ही नजर आये। कोरोना के चलते जनसुनवाई मार्च से बंद पड़ी थी। आज पहली जनसुनवाई हुई। जिसमें कलेक्टर से मिलने दलित महिलाओं का एक समूह पहुंचा। 2 दर्जन से ज्यादा महिलाएं थीं। जो कि एक लोडिंग टेम्पो में सवार होकर आई थीं। मगर बदकिस्मती से इनकी कलेक्टर से मुलाकात नहीं हो पाई। तो अपर कलेक्टर अवि प्रसाद को आवेदन देकर लौट गये।
डिमांड …
तहसील घट्टिया की ग्राम पंचायत धुलेटिया के ग्राम हरिगढ़ की यह महिलाएं थीं। जो कि अपना असली दु:ख लेकर, कलेक्टर आशीषसिंह से मिलने आई थीं। इनको उम्मीद थी कि…अब कलेक्टर ही इनकी डिमांड पूरी कर सकते हैं। दलित महिलाओं की डिमांड प्रधानमंत्री आवास की है। इस गांव में लगभग 50 घर दलितों के हैं। जो कि कच्चे हैं। नीचे की तरफ बने हुए हैं। इसलिए जब-जब बारिश होती है। घरों में पानी इस कदर भर जाता है कि…स्कूल में रुकना पड़ता है। सर्वे हुए लगभग 1 साल से ऊपर हो गया है। मगर किसी को भी इस योजना का लाभ नहीं मिला है। इनके घर के हालात देखकर (देखे तस्वीर) साफ पता चलता है कि…यह सभी वाकई जनसुनवाई के असली हकदार है और संवेदनशील कलेक्टर आशीषसिंह से गुहार लगाने आये थे।
बीपीएल की जिद…
जनसुनवाई में लगातार सालों से आने का रिकार्ड बनाने वाले नागदा के रहवासी मांगूसिंह, आज फिर हाजिर थे। कलेक्टर के समक्ष वही पहले फरियादी थे। उनकी गुहार थी कि…मेरा बीपीएल कार्ड बनवा दो। जिला आपूर्ति नियंत्रक मोहन मारू ने नियम का हवाला दिया। उन्होंने कलेक्टर को बताया कि…2 बीघा जमीन के मालिक हैं। इसलिए बीपीएल कार्ड नहीं बन सकता है। नतीजा मांगूसिंह वापस लौट गये।