शाजापुर, अग्निपथ। उत्तरप्रदेश में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा अनावरण के मामले में गुर्जर समाज और राजपूत समाज के बीच हुए मतभेदों का असर शाजापुर में भी दिखाई देने लगा है। यही कारण रहा कि राजपूत करणी सेना ने विरोध स्वरूप राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
बुधवार को राजपूत करणी सेना के पदाधिकारी और कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और यहां राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर बताया कि सम्राट मिहिर भोज राजपूत समाज के थे, लेकिन गुर्जर समाज के द्वारा उन्हे गुर्जर बताया जा रहा है जो गलत है। उत्तरप्रदेश में इसी बात को लेकर लोकेन्द्रसिंह कालवी द्वारा विरोध जताया जा रहा था, जिस पर योगी सरकार ने उन्हे नजरबंद करा दिया। ज्ञापन में मांग की गई कि कालवी को तुरंत रिहा किया जाए और देश को जातिगत वैमनस्यता में नही धकेला जाए। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि मांग पूरी नही की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
यह है विवाद
उत्तरप्रदेश में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अनावरण किया गया। अनावरण शिलालेख पर सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर लिखा गया। इस पर राजपूत समाज ने आपत्ति जताई है और उनका कहना है कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर राजपूत समाज के महापुरूष को गुर्जर समाज का बताया जा रहा है। इसी बात को लेकर उत्तरप्रदेश में राजपूत समाज द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं और शाजापुर में भी इस प्रदर्शन का समर्थन करते हुए राजपूत करणी सेना द्वारा ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन सौंपते समय नरेंद्रसिंह देवड़ा सहित करणी सेना के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे।