बदनावर (अल्ताफ मंसूरी)। तकनीकी खामियों व उचित संधारण के अभाव में लेबड-नयागांव फोरलेन हमेशा से ही चर्चा में रहा है। कहने को तो यह सरपट दौड़ते वाहन की फोरलेन सडक़ है, लेकिन मुलथान से लेकर लेबड तक मार्ग की हालत इतनी अच्छी नहीं कहीं जा सकती है। पेंचवर्क सही तरीके से नहीं करने व कहीं-कहीं रोड के बैठने की वजह से वाहन हिचकौले खाकर चलते है।
एजेंसी एमपी वेस्टर्न इंफ्रास्ट्रक्चर टोल रोड प्रालि मुबंई ने वर्ष 2009 में करोड़ों की लागत से जब फोरलेन का निर्माण किया तो वाहन चालकों के साथ क्षेत्रवासियों में इसे लेकर काफी उत्साह देखा गया था। लेकिन उनकी यह खुशी थोड़े ही समय बाद काफूर हो गई तब कुछ कमियों की वजह से इस मार्ग पर दुर्घटनाएं अधिक होने लगी।
अभी डेढ़ माह में हुई दुर्घटनाओं में एक दर्जन लोगों की जान चली गई है। वर्ष 2009 से अब तक करीब तीन हजार से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी है। इसमें चौकाने वाली बात यह है कि लेबड-जावरा तक के फोरलेन अंतर्गत चार थाना क्षेत्रों में वर्ष 2016- 2017 में एक साल में सर्वाधिक दुर्घटनाएं हुई थी। इस कारण कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा तो कई शरीर के विभिन्न अंगों को खोकर नुकसान उठाना पड़ा था। और इस कारण से मौत का फोरलेन भी कहा जाने लगा।
दुर्घटनाग्रस्त झोन की ओर ध्यान नही
फोरलेन पर लेबड से लेकर मुलथान तक करीब 14 दुर्घटनाग्रस्त झोन है। जहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रही है। इनमें सादलपुर, माकनी, नागदा, सनोली फांटा, खण्डीगारा जीरो पाईंट, भोईंदा फांटा, कानवन चैपाटी, रिटोडा फांटा, छोकलां, बखतगढ फांटा, पिटगारा तिराहा, बदनावर चैपाटी एवं मुलथान में होटल वनस्थली के पास दुर्घटनाग्रस्त झोन है जहां दुर्घटनाओं में कई लोगों की जाने जा चुकी है। लेकिन कहीं पर भी दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए उपाय निर्माण एजेंसी ने इतने वर्षो में भी नही किए। मात्र बदनावर चैपाटी पर वाहनों की गति धीमी करने के लिए ट्रेफिक सिग्नल लगाए गए है किंतु वे अधिकांशत: समय बंद रहते है।
विधानसभा समिति के सुझावों पर अमल नही
जब फोरलेन की शिकायतों का सिलसिला बढता ही गया तो इसकी गंूंज विधानसभा में भी सुनाई दी। और 2011 में तत्तकालीन विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहणी के हस्तक्षेप के बाद समिति में शामिल लोनिवि मंत्री व विधायकों ने फोरलेन का दौरा कर इसकी खामियों का खाका तैयार किया। किंतु वह मात्र कागजों में ही सीमित होकर रह गई और जनता की सुझावों पर कोई अमल नही हुआ। एसा पहली बार नही बल्कि तीन से चार मर्तबा हो चुका है जब विधायकों के दल ने दौरा कर समस्याएं दूर करने का प्रयास किया किंतु वह मात्र आवश्सान ही साबित हुआ।
कार्रवाई भी ही बेअसर
फोरलेन पर प्रतिदिन करीब पांच हजार वाहनों से 15 से 20 लाख रूपए टोल वसूली की जाती है। फिर भी सडक सुधार के प्रति निर्माण एजेंसी गंभीर नही है। इसके लिए कंपनी को लापरवाही भी भारी पडी है और उसे कई बार पेनेल्टी के रूप में दंडित भी किया गया। यहां तक कि एक जनयाचिका के बाद हाईकोर्ट ने फटकार तक लगाई और टोल बंद करने के आदेश भी दिए। टोल वसूली भी बंद रहा है लेकिन जैसे तैसे टोल चालू करने के लिए ताबतोड सडक सुधार दी लेकिन अब फिर से वही अनदेखी की जा रही है।
क्या है खामिया
- फोरलेन किनारे आबादी वाले क्षेत्रों में कहीं-कहीं सर्विस रोड का अभाव।
- अंडरपास अधिक जरूरत वाले स्थानों की बजाय दूरी पर बनाए। जिससे दुर्घटना पर कोई रोकथाम नही।
- यात्री प्रतिक्षालय बस स्टेंड से दूर होने पर अनुपयोगी साबित हुए और वे जर्जर होकर क्षतिग्रस्त हो गए।
- फोरलेन किनारे स्वच्छता की अनदेखी तथा सडक से मृत पशुओं को नही हटाने पर फैलती है गदंगी
- यात्रियों के लिए बनाए गए सुविधाघर व सुलभ काम्पलेक्स देखरेख के अभाव में अनुपयोगी होकर जर्जर हो गए।
- फोरलेन पर नियमित गश्त का अभाव बना हुआ है।
- फोरलेन पर से हरे भरे पैडो की बलि लेेने के बाद नए सिरे पौधे लगाए किंतु इतने वृर्षो में वृक्ष नही बन पाए।
- फोरलेन पर टूटे डिवायडर व क्षतिग्रस्त रैलिंग की मरम्मत करने में समय पर सुध नही लेना।