नमस्कार महामंत्र की मंत्रिक आराधना की पूर्णाहुति, 54 आराधक कर रहे थे आराधना

नलखेड़ा, अग्निपथ। जैन श्वेतांबर समाज के चातुर्मास के अंतर्गत जैन आराधना भवन में नौ दिवसीय नवकार महामंत्र की आराधना साध्वी श्रीमुक्तिदर्शनाश्रीजी ठाणा 9 की निश्रा में 54 आराधकों के साथ शुरू हुई ती। इसके तहत प्रतिदिन समाज के लोगों द्वारा सामूहिक आराधना के साथ नवकार मंत्र के अखंड जाप किए जा रहे थे। आराधना की पूर्णाहुति 24 सितंबर को हुई।

जैन आराधना भवन में चल रही इस आराधना के तहत साध्वी मुक्तिदर्शनाश्रीजी ने कहा कि नवकार मंत्र जैसा मंत्र दुनिया में नही है इसीलिये इसे मंत्राधिराज कहा गया है। नवकार के प्रति श्रद्वा व समर्पण से आत्मा अभय बन जाती है। उसे जीवन में किसी प्रकार का कोई भय नही रहता है। इस महामंत्र की आराधना के लिये सर्व प्रथम भाव शुद्धि होना अत्यंत आवश्यक है। साध्वी जी ने कहा कि यह संसार पुण्य से चलता है, लेकिन धर्म तो पुरुषार्थ से चलता है। संसार तो भटकाने वाला है, धर्म तिराने वाला है। इसीलिये मानव जीवन में धर्म करने का पुरुषार्थ करना चाहिये। जिसके मन के अंदर नवकार है संसार में उसका कोई अहित नहीं कर सकता है। नमस्कार महामंत्र में आत्मिक सुख के साथ भौतिक सुख भी देने की अपार शक्ति है।

नन्हीं बालिकाओं द्वारा भी की गई आराधना

जैन आराधना भवन में चल रही इस आराधना में भाग लेने वाले 54 आराधको में तीन नन्हीं बालिका वेदी फाफरिया, हितांशी सकलेचा, लब्धि ठाकुरिया भी शामिल हैं। जिन्होंने 9 दिनों तक नवकार आराधना के साथ एकसाने कर बच्चों को प्रिय वस्तुओं का त्याग किया। इनके इस तप की सभी के द्वारा अनुमोदना की गई।

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