जावरा, अग्निपथ। मौसम की दोहरी मार से किसानों की सोयाबीन की फसल चौपट हो रही है। पहले बारिश की कमी से अफलन और अब सितंबर के आखिरी हफ्ते में हो रही बारिश से पककर तैयार हुई फसल खराब हो रही है। जावरा, पिपलौदा क्षेत्र के गांव, नवेली, रियावन, मावता, कालूखेड़ा, भाटखेड़ा व कई गाँव के पानी भरे खेतों में कटकर पड़ी हुई सोयाबीन के दाने अंकुरित होने लगे हैं।
90 दिन से भी ज्यादा कड़ी मेहनत के बाद तैयार हुई फसल पर इस तेज बारिश के पानी ने किसानों की सारी मेहनत को एक झटके में खराब कर दिया है। कई किसानों की सोयाबीन खेत मे खड़ी खड़ी अंकुरित हो गई तो कुछ किसानों ने फसल काट तो ली लेकिन इस बीच हुई भारी बारिश की वजह से वह खेतों से निकाल नहीं पाए। जो अब पानी भरे होने की वजह से सडऩे लगी है। फिर भी किसान हिम्मत नहीं हार रहा और जैसे तैसे अपनी फ़सल को खेतों से बाहर निकालने में लगा और सडक़ों पे डाल रहा जिस से खेत में पड़ी-पड़ी सड़े नहीं।
कई किसानों की फसलें पुरी तरह नष्ट हो गई तो कुछ की फसलें नष्ट होने की कगार पर है। किसान अपनी सोयाबीन को सडक़ों पर ला कर निकालने के प्रयास तो कर रहा फिर भी सफलता बहुत कम है। क्योंकि फसलें पूरी गीली हो चुकी पानी की वजह से।
किसानों को मुआवजे की आस
किसान अब शासन प्रशासन से सोयाबीन की खराब हुई फसल का सर्वे करवाने और मुआवजे का लाभ दिलवाने की मांग कर रहा। साथ ही फसल बीमा के आंकलन के लिए इकाई खेत को ही निर्धारित करने की मांग भी उठ रही है।
नजरी सर्वे कर मुआवजा दे सरकार
वर्तमान में अतिवृष्टि से किसान परेशान है। पूर्व में अफलन की समस्या से भी बहुत प्रभावित हुआ है। वर्तमान समय में 50 प्रतिशत से अधिक फसलों का नुकसान हुआ है। राजस्व के परिपत्र के नियमों के अनुसार यदि 50 प्रतिशत हानि होती है तो उसे 100 प्रतिशत माना जाए और उन्हें पूर्ण मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। बगैर किसी सर्वे के जहां पूरे के पूरे खेत सोयाबीन पानी में डूबी हुई है, उनके नजरी सर्वे मानकर उनको मुआवजा तत्काल दिया जाना चाहिए। – वीरेंद्र सिंह सोलंकी, कांग्रेस नेता