तुड़वा दिया था…
सूत्रों के अनुसार जब मंदिर निर्माण शुरू ही हुआ था। केवल चबूतरा और दीवारें उठी थी। तब स्थानीय पटवारी ने हिम्मत दिखाई थी। सरकारी जमीन पर बन रहे मंदिर को लेकर। सर्वे नम्बर 314 रकबा 0.157 ग्राम भदेड मयचक की जमीन पर यह निर्माण हो रहा था। पटवारी ने कानून के हिसाब से कदम उठाया। वरिष्ठ अधिकारी को जानकारी दी और खुद खड़े रहकर दीवारें तुड़वा दी थी। तमाम राजनीतिक दबाब के बाद भी।
उज्जैन, अग्निपथ। बाबा महाकाल की नगरी में मंदिरों की कोई कमी नही है। इसीलिए इसको टेम्पल सिटी भी बोला जाता है। इतना ही नही,बातचीत में यह भी सुनने में आता हैं कि अगर 1 बोरी चावल लेकर निकलो और 1-1 दाना मंदिरों में अर्पण करो। तो भी चावल कम पड़ जायेंगे, मगर मंदिर नही। इतने मंदिर होने के बाद भी,फिर एक मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। वह भी सरकारी जमीन और सिंहस्थ क्षेत्र में। स्थानीय भाजपा नेताओं की शह पर।नतीजा प्रशासन मौन है।
नियमानुसार तो सिंहस्थ क्षेत्र में पक्के निर्माण पर रोक हैं। कलेक्टर आशीष सिंह भी फरमान जारी कर चुके हैं।सिंहस्थ 2016 के बाद,हुए पक्के निर्माणों को तोड़ा जाएगा।लेकिन मंगलनाथ मंदिर घाट के सामने मंदिर का पक्का निर्माण हो रहा है। जिसको रोकने की हिम्मत किसी की नही हो रही हैं। अगर कोई कोशिश करता है तो भाजपा नेता ,अपना पॉवर दिखाकर उसको रोक देते हैं।ऐसा हमारे सूत्रों का कहना है।
छत डल गई
अब इस तस्वीर को देखिये। उसी मंदिर की यह ताजी तस्वीर है। जिसकी दीवारें ,पटवारी ने तुड़वा दी थी।फिर मामला शांत हो गया था। मगर फिर मंदिर का काम शुरू हो गया। ना केवल दीवारें बन गई, बल्कि अब तो छत्त का भी निर्माण पूरा हो गया है। इस दौरान किसी ने भी इस अवैध निर्माण को रोकने की कोई कोशिश नही की गई। सूत्रों पर भरोसा करें तो एक भाजपा नेता के दबाव में आकर आंखे बंद कर ली गईं। नतीजा-सरकारी जमीन पर, सिंहस्थ क्षेत्र में पक्का निर्माण हो गया। जिस पर बुलडोजर चलना,अब मुश्किल ही नही,नामुमकिन है।