मुंबई. 18 साल के सिद्धिनाथ बत्रा ने जेईई 2020 में देश में 270वीं रैंक हासिल की थी और आईआईटी बॉम्बे में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के कोर्स में एक सीट आरक्षित कर ली थी लेकिन पिछले महीने एक गलत क्लिक करने की वजह से सिद्धिनाथ ने वो सीट खो दी।
बता दें कि 18 साल के सिद्धिनाथ को अकेली उसकी मां ने पाल-पोसकर बढ़ा किया था और दो साल पहले उसकी मां का देहांत हो गया था। आगरा के रहने वाले इस बच्चे ने आईआईटी जेईई (एडवांस) 2020 में सफलता हासिल की और 18 अक्तूबर को हुए पहले राउंड में पास हो गया।
एक गलत क्लिक से छूटी सीट
31 अक्तूबर को अपने रोल नंबर पर अपडेट देखने के लिए सिद्धिनाथ ने लिंक पर क्लिक किया। लिंक पर क्लिक करने से बाद उसे पता चला कि उसके रोल नंबर पर अब आगे एडमिशन राउंड्स की जरूरत नहीं है। दस नवंबर को सिद्धिनाथ ने पाया कि आईआईटी बॉम्बे में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के चार साल के कोर्स में छात्रों की सूची में उसका नाम नहीं है।
इस कोर्स के लिए 93 सीटें थीं। इसके बाद सिद्धिनाथ ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जो आईआईटी के उस पत्र के खिलाफ थी, जिसके तहत उसका नाम हटा लिया गया था। 19 नवंबर को कोर्ट की एक अवकाश पीठ ने आईआईटी बॉम्बे को दो दिन में सिद्धिनाथ की याचिका का जवाब देने के लिए कहा।
बत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
आईआईटी रजिस्ट्रार आर प्रेमकुमार ने कहा कि संस्थान के पास वापसी पत्र खत्म करने का अधिकार नहीं है। संस्थान के हाथ रूल ऑफ बिजनेस के तहत बंधे हुए हैं, जिसके तहत प्रवेश की प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं। आईआईटी बॉम्बे ने कहा कि इस साल संस्थान में कोई सीट खाली नहीं है।
रजिस्ट्रार आर प्रेमकुमार ने कहा कि बत्रा अगले साल 2021 में जेईई एडवांस के लिए अप्लाई कर सकते हैं। लेकिन इसके बाद बत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, उसने एक और सीट की मांग की ताकि उसका साल बच सके। वो अपने दादा-दादी के साथ रहता है और उसकी अनाथ पेंशन आती है।
कल सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
सिद्धिनाथ को लगा कि लिंक पर दिखाई दिया फ्रीज ऑप्शन का मतलब यह है कि उसको उसकी सीट आवंटित हो चुकी है और उसकी प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। आईआईटी ऑर्डर का कहना है कि नाम वापसी प्रक्रिया दो चरणों में होती है और पूरे होश में की जाती है। अब मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा।