उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन शहर ही नही बल्कि प्रदेश की प्राचीनतम सहकारी बैंकों में से एक उज्जैन परस्पर सहकारी बैंक मर्यादित, देवासगेट, उज्जैन के संचालक मण्डल के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। इन्दौर हाई कोर्ट के आदेशानुसार शासन को 1 माह में चुनाव सम्पन्न कराना अनिवार्य है। हाई कोर्ट के इस जनहितेशी आदेश पर संचालक मण्डल बैंक के सदस्यों एवं कर्मचारियों में हर्ष व्याप्त है। यह प्रजातन्त्र और सत्य की विजय है।
21 हजार सदस्यों वाली उज्जैन परस्पर सहकारी बैंक के संचालक मण्डल के चुनाव पर पिछले दिनों शुरू हुई मतदान प्रक्रिया को कतिपय लोगों ने प्रभावित कर बाधित कर दिया था। जबकि वर्तमान में बैंक के संचालक मण्डल ने पिछले 5 वर्षों में अनेकों सुविधाऐं बैंक के सदस्यों को प्रदान की है। जिसमें प्रमुख रूप से एनईएफटी/आरटीजीएस/एसएमएस, तुरन्त चैकबुक एवं सभी प्रकार के बिल भुगतान जैसे बिजली, पानी, टेलीफोन, मोबाइल, गैस बिल एवं इन्श्योरेन्स प्रीमियम इत्यादी बिना किसी अतिरिक्त चार्ज के नि:शुल्क जमा करने की सुविधा प्रदान की है। प्रदेश की पहली सहकारी बैंक है जिसने अपने कर्मचारियों को 7वें वेतनमान की सौगात दी है और शीघ्र ही बैंक द्वारा एटीएम सुविधा प्रदान की जाने वाली है। बैंक में अधिकांश सदस्य छोटी पूंजी, मध्यमवर्गीय, कमजोर वर्ग के है।
बैंक लगभग 83 वर्षों से गरीब, पिछड़़े वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाकर सूदखोरों के चंगुल से भी मुक्त कराने में प्रयासरत है। उच्च न्यायालय द्वारा बैंक के 21000 सदस्यों और उनके परिवार की भावनाओं का आदर करते हुवे एक माह की अवधि में नये संचालक मण्डल के चुनाव सम्पन्न कराने का आदेश दिया है। उक्त आदेश के बाद सहकारिता विभाग को 1 माह की अवधि में संचालक मण्डल के चुनाव कराने की अनिवार्यता हो गई है।
उच्च न्यायालय के आदेश पर बैंक के वरिष्ठ संचालक अनिलसिंह चन्देल एवं अध्यक्ष श्रीमती शशि चंदेल एवं संचालक सर्वश्री बालकृष्ण उपाध्याय, डॉ. अजयशंकर जोशी, श्रीमती गीता रामी, श्रीमती निशा त्रिपाठी, पुरूषोत्तम बागोलिया, हरदयालसिंह ठाकुर, नरेन्द्रसिंह तोमर, एस.एन.शर्मा, श्रीराम सांखला, दिनेशप्रताप सिंह बैस, मोतीलाल निर्मल, प्रतिनिधि मोतीलाल श्रीवास्तव, राजेश शास्त्री, हिमान्शु जोशी ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा है कि उच्च न्यायालय के निर्णय से लोकतन्त्र मजबूत हुआ है।