45 मिनट में पहुंच गई रामघाट पर महाकाल की पालकी, 5.45 पर मंदिर के अंदर, रामघाट-दत्त अखाड़ा श्रद्धालुओं से भरा
उज्जैन, अग्निपथ। कार्तिक-अगहन मास की भगवान महाकाल की तीसरी सवारी सोमवार को निकाली गई। सवारी इतनी तेजी से निकाली गई कि 45 मिनट में रामघाट पहुंच गई। परंपरागत मार्ग और रामघाट-दत्त अखाड़ा पर श्रद्धालु बाबा की एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे। श्रद्धालुओं ने रास्ते में और अपने घरों के छत से भगवान महाकाल के दर्शन कर पुण्य कमाया।
भगवान महाकाल की तीसरी सवारी का सभा मंडप में विधि विधान से पूजन अर्चन किया गया। शाम 4 बजे पालकी सभामंडप से उठाई गई। मुख्य द्वार पर पालकी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद पालकी चंद कहारों और पुजारियों सहित अधिकारियों की उपस्थिति में महाकाल घाटी, गुदरी चौराहा, पटनी बाजार, बख्शी बाजार, कहार वाड़ी होते हुए मात्र 45 मिनट में रामघाट पहुंच गई।
यहां पर पुजारी द्वारा पारंपरिक पूजन अर्चन किया गया। इसके पश्चात पालकी पुन: गणगौर दरवाजा, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए शाम 5.45 बजे महाकालेश्वर मंदिर पहुंच गई।
भगवान महाकाल की तीसरी सवारी निर्विघ्न रूप से महाकालेश्वर मंदिर होते हुए पारंपरिक मार्ग से होते हुए पुन: मंदिर पहुंची।
मार्ग में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मार्ग के दोनों ओर खड़े होकर भगवान की पालकी का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही पालकी उनके पास पहुंची तो उन्होंने महाकाल के जयघोष से वातावरण गुंजायमान कर दिया। हरसिद्धि की पाल, रामघाट, दत्त अखाड़ा घाट पर भी भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु खड़े होकर बाबा की पालकी के दर्शन को खड़े थे।
रामघाट पर कार्तिक पूर्णिमा के चलते दीपदान करने आए श्रद्धालुओं ने भी भगवान के दर्शन का लाभ प्राप्त किया। वहीं जिन मार्गो से होकर पालकी निकली उन घरों की छतों से भी श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दर्शन कर पुण्य कमाया। भगवान महाकाल की पालकी का पूजन रास्ते में मौजूद मंदिर के पंडे पुजारी परिवार द्वारा किया गया।